नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- मिडिल ईस्ट से लगातार गिर रही कच्चे तेल की सप्लाई व बढ़ते दामों के बीच एक बार फिर रूस ने भारत के साथ अपनी दोस्ती निभाई है। रूस लगातार दो साल से भारत को सस्ते कच्चे तेल की सप्लाई करता आ रहा है। हालांकि बीच में कुछ कारणों से भारत को रूस से कच्चे तेल की सप्लाई में कमी आई थी लेकिन अब जब अप्रैल के महीने में इंटरनेशनल मार्केट में तेल के दाम मंहगे हो गये है ऐसे में एकबार फिर रूस ने भारत को सस्ते कच्चे तेल की सप्लाई बढा दी है। रूस के इस कदम से भारत को कच्चे तेल की सप्लाई 40 फीसदी पर पंहुच गई है।
खास बात तो ये है अप्रैल के महीने में मिडिल ईस्ट देशों से लेकर अमेरिका तक की सप्लाई में काफी कमी देखने को मिली है। वास्तव में इंडियन रिफाइनरीज को कच्चे तेल की खरीद की एवरेज कॉस्ट कम करने के लिए रूस से सप्लाई बढ़ानी पड़ी।
भारत का कुल क्रूड ऑयल इंपोर्ट आयात अप्रैल में महीने-दर-महीने 8 फीसदी गिरकर 4.5 मिलीयन बैरल प्रतिदिन हो गया। दूसरे सबसे बड़े सप्लायर, इराक से इंपोर्ट 31 फीसदी गिरकर 776,000 बैरल प्रति दिन हो गया। वहीं दूसरी ओर सऊदी अरब से सप्लाई 6 फीसदी गिरकर 681,000 बैरल/दिन हो गई। अप्रैल में रूस की हिस्सेदारी 2023-24 के औसत 35 फीसदी से ज्यादा थी। ऐसे में रूस ने भारत को कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ा कर एकबार फिर अपनी दोस्ती निभा दी है।
कितना लिया रूसी तेल
एनर्जी कार्गो ट्रैकर वोर्टेक्सा के अनुसार रूस ने भारतीय कच्चे तेल के आयात में अपनी हिस्सेदारी मार्च में 30 फीसदी से बढ़ाकर अप्रैल में लगभग 40 फीसदी कर दी है. वैसे ये आंकड़ा पिछले साल जुलाई में 42 फीसदी के अपने लाइफ टाइम हाई से कम है. भारतीय रिफाइनर्स ने अप्रैल में रूस से प्रति दिन 1.78 मिलियन बैरल (एमबी/डी) कच्चे तेल का इंपोर्ट किया, जो मार्च से 19 फीसदी अधिक है. यह अप्रैल में चीन के 1.27 मिलियन बैरल (एमबी/डी) और यूरोप के 396,000 बैरल प्रति दिन (बीपी/डी) रूसी कच्चे तेल के इंपोर्ट से ज्यादा हो गया. खास बात तो ये है कि अप्रैल में रूस ने इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात की तुलना में भारत को अधिक तेल की सप्लाई की है।
क्यों लेना पड़ा रूसी तेल
वोर्टेक्सा की विश्लेषक सेरेना हुआंग ने कहा कि अप्रैल में भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात नौ महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। फरवरी/मार्च में उच्च रूसी कच्चे तेल के निर्यात के साथ-साथ चीनी रिफाइनर्स द्वारा कम इंपोर्ट ने भी ने भारतीय रिफाइनर्स को ज्यादा कच्चा तेल अवेलेबल हो सका। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने कहा कि इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होने के कारण भारत की रिफाइनरीज में रूसी कच्चे तेल की डिमांड मं इजाफा हो गया है। इसका प्रमुख कारण ये है कि कच्चे तेल के महंगा होने के कारण भारतीय रिफाइनर के मुनाफे में असर डाल रहा है। देश के टॉप रिफाइनर इंडियन ऑयल के चौथी तिमाही के मुनाफे में 52 फीसदी की गिरावट दर्ज की है। मौजूदा समय में ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम फिजिकल डिमांड और सप्लाई स्टेटस और जियो पॉलिटिकल टेंशन की वजह प्रीमियम पर है।
कितना सस्ता मिल रहा कच्चा तेल
दूसरी ओर रूसी क्रूड, फ्री-ऑन-बोर्ड बेस पर ब्रेंट के मुकाबले 7-8 डॉलर प्रति बैरल की छूट पर उपलब्ध है। बंदरगाह पर डिलीवरी के आधार पर छूट लगभग 2-3 डॉलर प्रति बैरल तक सीमित हो जाती है, जो भारतीय रिफाइनरों द्वारा रूसी कच्चे तेल की खरीद का पसंदीदा तरीका है। अप्रैल और मार्च दोनों में भारत की रूसी तेल खरीद में यूराल की हिस्सेदारी 89 फीसदी थी। प्राइवेट सेक्टर के रिफाइनर रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी ने अप्रैल में सभी रूसी कच्चे तेल इंपोर्ट का 45 फीसदी हिस्सा लिया। नायरा एनर्जी का आंशिक स्वामित्व रूसी ऊर्जा दिग्गज रोसनेफ्ट के पास है।
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