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  • यत्र तत्र सर्वत्र मेरे आराध्य राम, मेरे आराध्य राम पुस्तक का लोकार्पण समारोह

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    यत्र तत्र सर्वत्र मेरे आराध्य राम, मेरे आराध्य राम पुस्तक का लोकार्पण समारोह

    -हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा (हास्य कवि) ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में किया लोकार्पण

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- इंडिया इंटरनेशनल सेंटर बेसमेंट लेक्चर हाल में मेरे आराध्य राम पुस्तक का लोकार्पण किया गया। जिसमें विशिष्ट अतिथि श्री सुरेन्द्र शर्मा (हास्य कवि) और कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री बालस्वरूप राही (प्रसिद्ध कवि एवं गीताकार)थे। डॉ संदीप कुमार शर्मा द्वारा सम्पादित पुस्तक मेरे आराध्य राम पुस्तक एक ऐसी ही पुस्तक है। यह पुस्तक युवाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि देश-दुनिया में जो भ्रांतियां व्याप्त है उनका निराकरण करती है यह पुस्तक। पुस्तक को सारगर्भित बनाने के लिए अनेक पुस्तकों के प्रसंग समाहित करने का प्रयास किया है। अनेक अध्यायों में अन्य पुस्तकों के संदर्भ हु-ब-हु रखने का दुस्साहस भी किया और वह इसलिए ताकि हमारे युवा पाठक राम, रामायण और रावण से संबंधित सभी तथ्यों को एक ही पुस्तक में पढ़ सकें। हमारे लिए वाल्मीकि कृत रामायण और गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस दोनों ही ग्रंथ धरोहर है। महत्वपूर्ण हैं। त्रेतायुग को समझने के लिए अतिमहत्वपूर्ण ग्रंथ है वाल्मीकि कृत रामायण।

    डायमंड बुक्स के चेयरमैन नरेन्द्र कुमार वर्मा ने आये हुए बाल स्वरूप राही,  सुरेन्द्र शर्मा, डॉ. एस. एस. अवस्थी, डॉ. संदीप कुमार शर्मा, प्रो. पुष्पिता अवस्थी यहाँ पर उपस्थित सभी व्यक्तियों का डायमंड परिवार की ओर से स्वागत करता हूँ। राम मंदिर के निर्माण कार्य में सिर्फ मंदिर का निर्माण नहीं एक इतिहास का भी निर्माण हो रहा है एक सभ्य समाज का भी निर्माण हो रहा है इसीलिए हमें इसे पूरे हर्सौल्लास के साथ मनाना चाहिए। हमने भी इसे मेरे अराध्य राम के नाम पर संदीप शर्मा जी की कलम का सहारा लेकर मना रहे हैं इसे हिंदी और अन्य 12 भारतीय भाषाओं में प्रकाशित करने का मन बनाया है। राम हमारे आराध्य हैं, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं हमें एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा देते हैं उनके आदर्शों पर चल कर हम नेक बने, समाज को कुछ दें। डायमंड बुक्स ने 55 वर्षा के अपने जीवन में 10,000 पुस्तकें प्रकाशित करके सदा साहित्य को जन-जन तक पहुंचाया है उसी कड़ी में ये पुस्तक है।
               डा संदीप शर्मा का कहना है कि युवाओं से मेरा विशेष आग्रह है कि वह सबसे पहले महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण का अध्ययन अवश्य करें। शेष पाठकों पर निर्भर है कि किसे प्राथमिकता देते हैं। सभी पूर्वग्रहों से मुक्त होकर इस पुस्तक का अध्ययन करने से सभी भ्रांतियां समाप्त होंगी, ऐसा मेरा विश्वास है। राम भारतीय उपमहाद्वीप में ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व की मानव समुदाय के आराध्य देव हैं। संस्कृत और हिंदी भाषा सहित अन्य भारतीय भाषाओं में रामकथा के प्रसंग तो समाहित हैं ही साथ-ही-साथ नेपाली, तिब्बती, कंबोडिया, तुर्किस्तान, इंडोनेशिया, जावा, बर्मा, थाइलैंड, मॉरीशस के प्राचीन साहित्य में भी रामकथा का उल्लेख मिलता है। प्राचीन काल से ही राम जनमानस हृदय में रचे-बसे हैं। इतना ही नहीं बल्कि दुनिया के विभिन्न देशों में राम मंदिर, शिलालेख एवं अन्य साक्ष्य भी मिले हैं। रामायण के प्रथम रचनाकार महर्षि वाल्मीकि सातों महाद्वीपों में चिरपरिचित रहे हैं और आज भी हैं। राम केवल एक नाम नहीं है अपितु एक जीवन दर्शन है। जीवन पद्धति है। भगवान शिव की शिक्षाओं का विस्तार है। प्रकांड पंडित दशग्रीव को मोक्ष प्रदान कर राम पुरुषों में पुरूषोत्तम हैं। मोक्ष का मार्ग है। किसी भी युग में राम सदृश्य अन्य कोई नहीं है।    
              रामायण के राम किसी एक धर्म और विचारधारा के देव नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व के आदर्श हैं। त्रेतायुग के राम का जीवन मानव समुदाय के लिए आज भी प्रासंगिक हैं। उनकी शिक्षाएं, सामाजिक परिवेश और सर्वमानव संभाव उल्लेखनीय है। संपूर्ण विश्व के लिए यह परम सौभाग्य का विषय है कि जन्म भूमि अयोध्या में भव्य राम मंदिर शीघ्र ही दर्शनार्थ खुल जाएगा।
             राम! दशरथ-कौशल्या नंदन, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न के अग्रज, सीता के प्रियवर प्रीतम, वनवासी राम! क्यों करते हो भेद प्रियवर! राम नाम के जाप में न नंद छिपा न द्वंद्व छिपा, जो छिपा कण-कण में उससे भला क्या छिपा। मत बांधो राम को सीमा बंधन में त्रिलोकी राम कण-कण में रमा। मेरे राम सिर्फ मेरे नहीं सभी दिलों में बसे। जात-पात से ऊपर उठकर भेद-भाव को रख ताक पर कहलाए मोक्षदा पुरुषोत्तम राम।  संतों की वाणी राम, मित्रता की साख राम, मर्यादा की सीख राम, सत्य की विजय राम, अधर्म की अंतिम सांस राम, प्रजा की सुख-समृद्धि राम, भूत, वर्तमान और भविष्य की आशाएं राम। डायमंड बुक्स के स्वामी आदरणीय नरेन्द्र वर्मा को विशेष वंदन के साथ हार्दिक धन्यवाद देना अपना परम कर्तव्य समझता हूँ जिन्होंने इस पुस्तक का प्रकाशन करने का संकल्प लिया।
              दुनिया के लगभग 60 देशों में 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उत्साह, उमंग और उल्लास हर हिंदुस्तानी अपने-अपने घरों में दीप प्रज्ज्वलित कर दीपोत्सव बनाने को तत्पर है। जय श्रीराम का उद्घोष सारी दुनिया में गूंजेगा। इसलिए तो कहते हैं यत्र तत्र सर्वत्र राम। सभी से मेरा विनम्र आग्रह है कि सभी पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर पाठक गण पुस्तक पढ़ेंगे तभी उन्हें ज्ञान और आनंद की प्राप्ति होगी। मैं ऐसी कामना करता हूं।  इसके अलावा कार्यक्रम में कार्यक्रम में डायमंड बुक्स के उप चेयरमैन मनीष वर्मा, रिंकल शर्मा, विरेन्द्र कुमार शेखर इत्यादि उपस्थित थे।

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