
मेरा घर
जहाँ दरवाजे बन्द है
बाहर की हवा अंदर नहीं आती, अंदर की हवा बाहर नहीं जाती ।
मेरा घर
जहाँ बात नहीं होती
बस होता है
चिखना-चिल्लाना,
गाली-गेलोच और मार-पीट ।
मेरा घर…
जहाँ बताए हुये आदेशों पर चालना पड़ता है,
हुकम को मानना पड़ता है ।
मेरा घर….
जहाँ एक ही की आवाज होती है
और दूसरे के तो सासों की आहटे!
मेरा घर
वैसे तो देखेने में हर चीज अपनी जगह पर है पर…..
वहाँ के लोग गहर में रहना पसंद ही नहीं करते ।
मेरा घर
वहाँ मेरी साँसे रुक जाती है,
दिल की धड़कन तेज हो जाती है,
मन भारी होने लगता है ।
वह कहता है …
निकल यहाँ से…कहीं और चली जा ।
…… नहीं तो यहाँ साँसे फुल जायेगी ।“
सोचती हूँ
चली ही जाऊँ घर छोड़कर ।
वैसे तो कहने को मेरा वहाँ कुछ भी नहीं है….
…सिवाय जमाने के रिवाज के ।
- हेमांगी
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