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    July 14, 2025

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    मुआवजा दिए बिना खेतों में लगा रहे हाईटेंशन टावर

    मानसी शर्मा /- पावर ग्रिड कारपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआइएल) की ओर से बिछाई जा रही 765 केवी हाईटेंशन लाइन का दिल्ली देहात के किसानों द्वारा विरोध किया जा रहा है। मुआवजे की मांग को लेकर दिल्ली किसान अधिकार मोर्चा के बैनर तले 29 दिन से किसान धरने पर बैठे हैं। उनका कहना है कि भारत सरकार के नाम पर उनके खेतों पर कंपनी द्वारा कब्जा किया जा रहा है और इसके बदले में उन्हें मुआवजा नहीं दिया जा रहा है।
               धरने का नेतृत्व कर रहे दिल्ली किसान अधिकार मोर्चा के संयोजक सतेंद्र लोहचब ने कहा कि भारत सरकार के नाम पर किसानों को गुमराह किया जा रहा है। उन्हें कहा जा रहा है कि इन टावरों को लगने से कोई नहीं रोक सकता। किसानों को बिना कुछ बताए रात को गड्ढे खोदकर खेतों में टावर लगाए जा रहे हैं। कई जगह किसानों को बहला- फुसलाकर टावर लगा दिए गए हैं, जहां टावर लगेंगे, वहां तो नुकसान होगा ही,

            जहां से हाईटेंशन लाइन गुजरेगी, वहां पर जमीन की कीमत 90 प्रतिशत तक कम हो जाएगी। कोई प्रोजेक्ट भी इधर नहीं आएगा। बिना किसी मुआवजे के किसानों की जमीन पर कब्जा किया जा रहा है। टावर लगने के बाद करोड़ों की जमीन को कोई कौड़ियों के भाव में भी खरीदने को तैयार नहीं होगा। पुलिस के साथ-साथ एसडीएम, डीएम भी किसानों का पक्ष सुनने के बजाय उन पर दबाव बना रहे हैं। उन्हें थाने ले जाया जा रहा है। जब तक सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक धरना चलता रहेगा। हरियाणा में मिल रहा मुआवजा, दिल्ली में नहीं: दिल्ली के आखिरी गांव कुतुबगढ़ के पास के हरियाणा के पहले गांव लड़रावन के जिन खेतों में हाईटेंशन लाइन के टावर लगाए गए हैं,

                    उन खेतों के मालिकों को फसल बर्बादी का मुआवजा तो दिया ही गया है, साथ ही उस जमीन का मुआवजा भी दिया गया है, जहां टावर लगाया गया है। इसी तरह पूरे हरियाणा में जहां भी टावर लग रहे हैं, वहां उचित मुआवजा दिया जा रहा है। वहीं, दिल्ली में जमीन का मुआवजा देने की गाइडलाइन न होने से मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। मुआवजा मांग रहे हैं, भीख नहीं: औचंदी बार्डर पर धरना दे रहे कुतुबगढ़ गांव के पद्म राणा, सौरभ लोहचब, अमित समेत आसपास के गांवों के किसानों ने कहा कि खेतों की कीमत करोड़ों में है। सरकार जहां भी टावर लगा रही है, उस खेत का अधिग्रहण कर किसानों को मुआवजा दे। किसान अपनी जमीन की कीमत मांग रहे हैं, कंपनी से भीख नहीं।

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