ममता के समर्थन में शिवसेना व सपा

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ममता के समर्थन में शिवसेना व सपा

-शिवसेना की कांग्रेस को नसीहत. यूपीए को लेकर कह दी बड़ी बात -सपा ने ममता को गले लगाया, कांग्रेस हाशिये पर

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/मुंबई/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- देश भर में भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने के प्रयास में जुटी टीएमसी नेता ममता बैनर्जी को अब स्थानीय पार्टियों का समर्थन मिलना शुरू हो गया है। हालांकि अभी भी यह सवाल यक्ष प्रश्न बनकर खड़ा है कि आखिर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के द्वारा कांग्रेस को लेकर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना के मुखपत्र सामना ने शनिवार को कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) का नेता कौन होगा, यह तय करने से पहले विपक्ष को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। शिव सेना ने टीएमसी नेता ममता बैनर्जी के प्रयासों का समर्थन किया और कांग्रेस को नसीहत दे डाली। वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी ममता बैनर्जी के नये मोर्चे के प्रति विशेष लगाव दिखाया है और कांग्रेस को जीरों सीट देकर हाशिये पर डाल दिया है।
                शिव सेना ने संपादकीय में विपक्षी दलों से सत्ता में आने के लिए कांग्रेस के पीछे नहीं जाने का आग्रह किया गया। सामना ने कहा, “कांग्रेस अभी भी कई राज्यों में है। गोवा और पूर्वोत्तर राज्यों में कांग्रेस नेता तृणमूल में शामिल हो गए हैं और आप के साथ भी ऐसा ही है।“ संपादकीय में यह भी कहा गया है कि यूपीए जैसा गठबंधन बनाने से भाजपा को ही मजबूती मिलेगी। शिवसेना का यह बयान तब आया है जब प्रशांत किशोर ने यह कहकर कांग्रेस पर निशाना साधा कि उसका नेतृत्व किसी व्यक्ति का दैवीय अधिकार नहीं होता है। उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी पिछले 10 वर्षों में 90 प्रतिशत से अधिक चुनाव हार गई है। सामना ने सुझाव दिया, “कांग्रेस के नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नेतृत्व करना चाहिए और यूपीए को मजबूत करने के लिए आगे आना चाहिए।“


                 शिवसेना ने भी लखीमपुर खीरी कांड के दौरान प्रियंका गांधी के प्रयासों की सराहना की और कहा, “अगर प्रियंका लखीमपुर खीरी नहीं जातीं तो मामला खारिज हो जाता। उन्होंने एक विपक्षी नेता के रूप में अपनी भूमिका निभाई।“ इसमें कहा गया है, ’संप्रग का नेतृत्व करने की दैवीय शक्ति किसके पास है, यह गौण है, पहले हमें लोगों को विकल्प देने की जरूरत है।’
               मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार के साथ एक बैठक के बाद ममता की “कोई यूपीए नहीं है“ टिप्पणी, कई विपक्षी नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। मुंबई में एक कार्यक्रम में, टीएमसी प्रमुख ने कहा कि अगर सभी क्षेत्रीय दल एक साथ आते हैं तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराना बहुत आसान होगा।
             इस साल की शुरुआत में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में टीएमसी की प्रचंड जीत के बाद, ममता लगातार राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत विकल्प की वकालत कर रही हैं, लेकिन परोक्ष रूप से कांग्रेस को टक्कर दे रही हैं। मेघालय में कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा, जब उसके 17 में से 12 विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। टीएमसी राज्य का मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई। टीएमसी में हाल के महीनों में कांग्रेस के कई बड़े नेता शामिल हुए हैं। गोवा में पूर्व मुख्यमंत्री लुइज़िन्हो फलेरियो सहित पार्टी नौ अन्य नेता भी टीएमसी में शामिल हो गए। इसके अलावा अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सुष्मिता देव, कीर्ति आजाद और हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर जैसे नाम कांग्रेस छोड़कर टीएमसी शामिल होने वालों में शुमार है।
                 उधर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने शुक्रवार को कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले वैकल्पिक राजनीतिक मोर्चे में शामिल होने के लिए तैयार हो सकते हैं। अखिलेश यादव इन दिनों 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के लिए एक मंच बनाने में व्यस्त हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी का सफाया हो जाएगा, जैसे कि बंगाल के चुनावों में ममता बनर्जी ने उनका सफाया कर दिया था।
                 अखिलेश यादव ने झांसी में संवाददाताओं से कहा, “मैं उनका स्वागत करता हूं। जिस तरह से उन्होंने बंगाल में भाजपा का सफाया कर दिया,  उत्तर प्रदेश के लोग भाजपा का सफाया कर देंगे।“ अखिलेश ने कहा, “जब समय सही होगा हम इसके बारे में बात करेंगे। वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा पर उनके कटाक्ष के लिए पलटवार करते हुए कहा अखिलेश यादव ने कहा,  “जनता उन्हें मना कर देगी। आगामी चुनाव में उन्हें जीरो सीटें मिलेंगी।“ आपको बता दें कि प्रियंका ने हाल ही में कहा था कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने भी कांग्रेस को बट्टा लगाया है। गुरुवार को, पश्चिमी यूपी के मुरादाबाद में एक रैली में, प्रियंका गांधी ने विरोध प्रदर्शन के दौरान अखिलेश यादव की लखीमपुर से अनुपस्थिति पर सवाल उठाया था।
                 अखिलेश यादव ने झांसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को लेकर भी भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि भाजपा उनकी पार्टी द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं का श्रेय ले रही है। उन्होंने कहा, “अगर समाजवादी पार्टी 22 महीने में एक्सप्रेसवे बना सकती है तो बीजेपी को उसी काम को करने में 4.5 साल क्यों लगे? ऐसा इसलिए है क्योंकि वे यूपी में लोगों के कल्याण के लिए काम नहीं करना चाहते हैं।“
               अखिलेश यादव यूपी चुनाव से पहले इन दिनों एक गठबंधन बनाने की कोशिश में हैं, जो बीजेपी को टक्कर दे सके। उनकी नजर राज्य के पूर्वी हिस्से में क्षेत्रीय दलों के वर्गीकरण और पश्चिम में किसानों के वोटों पर है।
               ममता बनर्जी बंगाल में भाजपा को हराने के बाद से तेजी से अपनी पार्टी के विस्तार में जुटी हैं। इस क्रम में कई कांग्रेसी नेता टीएमसी में शामिल हुए हैं। हाल ही में उन्होंने मुंबई में राकांपा प्रमुख शरद पवार और महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने यूपीए के अस्तित्व को खारिज कर दिया। इससे भी बुरी बात यह है कि पिछले महीने दिल्ली में ममता ने इस विचार का उपहास उड़ाया कि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलना है।

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