ममता का सियासी दांव बंगाल में हुआ पास, टीएमसी का गढ़ होगा मजबूत

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

September 2023
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
September 26, 2023

हर ख़बर पर हमारी पकड़

ममता का सियासी दांव बंगाल में हुआ पास, टीएमसी का गढ़ होगा मजबूत

-आज विधान परिषद के पक्ष में 196 वोट पड़े व विरोध में कुल 69 वोट पड़े नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/पश्चिमी बंगाल/नई दिल्ली/शिव कुमार
NM News West Bengal CM Mamta Banerjee

यादव/भावना शर्मा/- अपने चुनावी वादे के तहत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को विधानसभा में राज्य विधान परिषद बनाने का प्रस्ताव पेश किया जिसमें पश्चिम बंगाल विधानसभा में राज्य विधान परिषद बनाने का प्रस्ताव पारित हो गया है। सीएम ममता बनर्जी की टीएमसी ने विधानसभा में इस प्रस्ताव को पेश किया। प्रस्ताव के पक्ष में सदन के 196 सदस्यों ने वोट दिए, जबकि इसके खिलाफ 69 वोट पड़े.। तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद ममता बनर्जी ने राज्य विधानसभा के उच्च सदन विधान परिषद बनाने के कैबिनेट के फैसले को मंजूरी दी थी। ममता बनर्जी के इस सियासी दांव से न केवल प्रदेश में टीएमसी का गढ़ मजबूत होगा बल्कि पार्टी के ऐसे दिग्गज नेता जिन्हे पार्टी में कोई पद व विधानसभा चुनाव में सफलता नही मिली है को विधान परिषद में नामित कर शांत रखा जा सकेगा। सीएम ने 2011 के विधानसभा चुनावों के बाद नंदीग्राम और सिंगूर में उनके अभियान का हिस्सा रहने वालों को विधान परिषद में भेजने का वादा किया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौजूदा वित्त मंत्री अमित मित्रा, पूर्णेंदु बोस जैसे पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को विधानसभा में शामिल नहीं किया जा सकता है, इन्हें विधान परिषद में भेजने की तैयारी चल रही है। इसे देखते हुए एक विधान परिषद स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। बता दें कि हालिया चुनाव में ममता बनर्जी अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार सुवेंदु अधिकारी से हार गई थीं।
बता दें कि देश में 6 राज्यों में विधान परिषद है, जिनमें बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक शामिल है। पश्चिम बंगाल में 294 विधानसभा सीटें हैं। एक विधान परिषद में सदस्यों की संख्या विधानसभा के सदस्यों से एक तिहाई से अधिक नहीं हो सकती है, लिहाजा बंगाल में विधान परिषद में 98 सदस्य हो सकते हैं।
नियमानुसार विधान परिषद गठित करने के लिए राज्य सरकार को पहले विधानसभा में बिल पारित करना होगा। सदस्यों में से एक तिहाई सदस्य विधायकों द्वारा चुने जाएंगे, जबकि अन्य वन थर्ड सदस्य नगर निकायों, जिला परिषद और अन्य स्थानीय निकायों द्वारा चुने जाते हैं। सरकार द्वारा परिषद में सदस्यों को मनोनीत करने का भी प्रावधान होगा। राज्यसभा की तरह ही इसमें भी एक सभापति और एक उपाध्यक्ष होते हैं। सभी का कार्यकाल 6 वर्ष का होगा। बंगाल में पहले विधान परिषद था, लेकिन 1969 में समाप्त कर दिया गया था। भाजपा ने सरकार के इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन वामदलों ने ममता के इस फैसले का विरोध किया है। वामदलों का कहना है कि ममता का यह कदम राज्य के हित के लिए नहीं है।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox