तेल अवीव/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- भारत ने इजरायल के साथ अपना दोस्ती धर्म निभाते हुए इजरायल को लाल सागर का वैकल्पिक रास्ता मुहैया करा दिया है। दरअसल इजराइल संकट के समय हमेशा भारत के साथ खड़ा दिखाई दिया है फिर चाहे वह कारगिल युद्ध हो या समुद्री इलाके में पानी का संकट। अब भारत ने इजराइल को हूतियों से मिल रही धमकी को फेल करते हुए अपना दोस्ती धर्म निभा दिया है। भारत ने इजरायल को लाल सागर का वैकल्पिक रास्ता मुहैया करा दिया है।
भारत के गुजरात राज्य में स्थित मुंद्रा पोर्ट से सामान अब यूएई और सऊदी के रास्ते आसानी से इजरायल तक पहुंच रहा है। इससे हूतियों की धमकी बेअसर हो गई है। भारत, इजरायल को सब्जी से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सामान तक भेज रहा हैं। इस रास्ते में यूएई, सऊदी अरब और जॉर्डन जैसे इस्लामिक मुल्क भी शामिल हैं। यह वही रास्ता है जिसे मिडिल ईस्ट यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर के तहत रेलमार्ग से जोड़ा जाना है।
दरअसल, भारत के मुंद्रा पोर्ट से सामान यूएई के बंदरगाह तक जा रहा है, फिर वहां से यह सामान जमीनी रास्ते से ट्रकों के जरिए सऊदी अरब और फिर जॉर्डन पहुंचाया जा रहा है। वहां से यह सामान इजरायल तक पहुंच जा रहा है। खुद इजरायल की परिवहन मंत्री मिरी रेगेव ने भारत से इजरायल तक माल पहुंचाने के लिए एक नए ज़मीनी रास्ते की घोषणा की है। यह रास्ता लाल सागर में हूतियों के खतरे को दरकिनार करेगा। यह वैकल्पिक रास्ता सामान्य समुद्री मार्ग को बदलने के लिए बनाया गया है, जिसे अक्टूबर की शुरुआत में तेल अवीव द्वारा गाजा पट्टी पर युद्ध शुरू करने के बाद इजरायल से जुड़े जहाजों पर हूती हमलों के कारण बंद कर दिया गया था।
भारत के इस रास्ते से इजरायल को बड़ा फायदा
मंत्री रेगेव के अनुसार, यह नया रास्ता भारत के सबसे बड़े बंदरगाह मुंद्रा से शुरू होता है। वहां से माल को समुद्र के रास्ते संयुक्त अरब अमीरात ले जाया जाता है और फिर सऊदी अरब से होते हुए जॉर्डन और अंत में इजरायल तक पहुंचाया जाता है। रेगेव ने गाजा युद्ध के दौरान इजरायल को सामानों की आपूर्ति में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमारे ऊपर युद्ध को थोपा गया है। इजरायल समुद्री परिवहन पर बहुत अधिक निर्भर है, और उनका देश एक द्वीप की तरह है। यही नहीं, नए ज़मीनी रास्ते से सामानों पहुंचाने की अवधि 12 दिनों तक कम होने की भी उम्मीद है और वर्तमान प्रतीक्षा समय में काफी कमी आएगी।
इजरायली मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक दुबई और अबू धाबी से इस ज़मीनी रास्ते से आने वाले ट्रकों में सब्जियां, फल, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य उत्पादों सहित कई तरह के सामान होते हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह ज़मीनी रास्ता तब बनाया गया है जब इजरायली कब्जे वाले गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी एक गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहे हैं। इजरायली नाकाबंदी ने भोजन और दवा सहित आवश्यक सहायता के प्रवेश को रोक दिया है, जिससे लगभग 23 लाख फिलिस्तीनी अकाल के जोखिम का सामना कर रहे हैं। हालांकि मिस्र के रास्ते कई देश गाजा के इन लोगों को मदद भेज रहे हैं। मदद देने वाले देशों में भारत भी शामिल है।
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