पुरूषों की बराबरी करके भी उपेक्षा का शिकार बन रही महिलाएं- विनीता जॉर्ज

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
November 4, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

पुरूषों की बराबरी करके भी उपेक्षा का शिकार बन रही महिलाएं- विनीता जॉर्ज

-अस्तित्व और अधिकारों की लड़ाई में उलझ रही महिलाएं

गौरेला, पेंड्रा, मरवाही/छत्तीसगढ़/– पूरे विश्व में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की महज औपचारिकता निभाई जाती है। पुरुष प्रधान समाज में महिलाएं आज भी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहीं हैं। दुनिया भर में अपनी सफलता के परचम लहराने के बावजूद महिलाओं को उनके हक से वंचित कर दिया जा रहा है। आखिर कब तक महिलाएं अपने अधिकारों के लिए जूझती रहेंगी, यह एक जटिल समस्या बनी हुई है। जिसे जब तक दूर नही किया जाएगा तब तक सच्चे अर्थो में पुरूषों की बराबरी करने के बाद महिलाएं उपेक्षा का शिकार बनी रहेंगी।  यह कहना है महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाली एक समाजसेविका विनीता जॉर्ज का।                                                                                                                                                          

उनका कहना है कि महिला दिवस का यह गौरवपूर्ण दिन पूरे विश्व की महिलाओं को समर्पित है। महिलाएं समाज का एक अभिन्न अंग हैं, जिनकी भूमिका परिवार, समाज और राष्ट्र तीनों के निर्माण और विकास में महत्वपूर्ण है। महिलाएं आज पुरुषों से किसी भी मामले में कम नहीं हैं और बराबर हर क्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। इसके बावजूद  उनकी स्थिति समाज में पुरुषों की तुलना में कम ही मापी जाती है। आज भी बहुत सी महिलाएं हैं, जिन्हें अपने अधिकारों की जानकारी नहीं है और नतीजा यह होता है कि  वे आसानी से शोषण का शिकार हो जाती हैं। जागरूकता के अभाव में उन्हें उनके हक से वंचित कर दिया जाता है। उनकी आवाज दबा दी जाती हैं। उन्हें मुंह खोलने का मौका नहीं दिया जाता है। नौकरीपेशा से लेकर मजदूर महिलाओं तक को समान कार्य के लिए पुरुषों से कम पगार दिया जाता है। समान अवसर, सम्मान और हक न मिल पाने से महिलाएं अपने लक्ष्य को पूरे कर पाने से भी वंचित रह जाती हैं। महिलाओं को उनकी सुरक्षा, उनके अधिकारों का अहसास कराने के उद्देश्य से ही अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है ताकि उनकी स्थिति मजबूत हो, उन्हें समान अवसर मिले लेकिन आज भी महिलाओं की यह स्थिति है कि उन्हें महिला दिवस मनाने का उद्देश्य ही पता नहीं है।
            अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। हालांकि 1975 से पूर्व इसे 28 फरवरी 1909 में पहली बार मनाया गया था। 1975 में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका द्वारा इसे हर वर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय रुप से मनाये जाने का निर्णय लिया गया लेकिन आप देखेंगे कि दुनिया भर में महिलाओं की स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है। इसके लिए हम खुद जिम्मेदार हैं। हमने खुद अपनी प्रथा नहीं बदली और एक ही  ढर्रे पर चलते रहे। लेकिन अन्य देशों ने समय रहते महिलाओं के महत्व को समझा और उनके अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए। हम अपनी परंपरा के अनुसार चलें तो हमारे लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कोई मायने नहीं रखता।    

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox