नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कोरोना महामारी में लगे लाॅकडाउन ने पिछली बार दिल्ली-एनसीआर की हवा को जीने लायक बना दिया था लेकिन इस बार हवा साफ तो हुई लेकिन पिछले साल की तुलना में इस बार पर्यावरण स्वच्छता के मामले में लाॅकडाउन कम असरदार दिखा। हालांकि इसका एक कारण 2021 के लाॅकडाउन की अवधि कम और कड़ाई मंे ढील को माना जा रहा है। सेंटर फॉर साइंस ऐंड एन्वायरमेंन्ट (सीएसई) ने अपने अध्ययन में यह खुलासा किया है।
अध्ययन में बताया गया कि मौसम संबंधी स्थिति इस अंतर के लिए आंशिक तौर पर जिम्मेदार हो सकती है, लेकिन यह आंकड़ा इस बात को प्रतिबिंबित करता है कि प्रदूषण नियंत्रण संबंधी कदम इस शहर और क्षेत्र में कड़ाई से नहीं उठाए गए हैं। इस अध्ययन के अनुसार, 2021 में यातायात आवाजाही भी पहले की तुलना में ज्यादा है। इस साल छह अप्रैल से दिल्ली में प्रतिबंध रात्रिकालीन कर्फ्यू और सप्ताहांत में लॉकडाउन से शुरू हुई और 19 अप्रैल से पूर्ण लॉकडाउन लागू किया गया। अध्ययन के मुताबिक, आंशिक लॉकडाउन से पीएम 2.5 प्रदूषक तत्व के स्तर में 20 फीसदी तक की कमी आई जबकि पूर्ण लॉकडाउन से इसके स्तर में 12 फीसदी की और गिरावट आई।
सीएसई ने बताया कि 2020 में आंशिक लॉकडाउन 12 मार्च से शुरू हो गया था और 25 मार्च से कड़े लॉकडाउन लागू थे, जिसे 18 मई से चरणबद्ध तरीके से हटाया गया। पिछले साल आंशिक लॉकडाउन के दौरान पीएम2.5 में 20 फीसदी की कमी आई जबकि कड़ाई से लागू लॉकडाउन से पीएम-2.5 का स्तर 35 फीसदी और कम हुआ। सीएसई ने कहा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग के आठ वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र (एक्यूएम) में से पिछले दो महीने में किसी ने भी मुख्य सर्वर तक आंकड़े नहीं भेजे हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा कि एक्यूएम काम कर रहे हैं लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से मुख्य सर्वर तक आंकड़े नहीं पहुंच रहे।
सीएसई ने कहा कि 2020 के अंत तक दिल्ली में निगरानी नेटवर्क के स्टेशनों की संख्या बढ़कर 40 हो गयी लेकिन सक्रिय स्टेशनों की संख्या घटकर 32 हो गई। सीएसई ने कहा कि बुराड़ी क्रॉसिंग स्टेशन दिसंबर से ही ऑफलाइन है, जबकि आयानगर, सीआरआरआई मथुरा रोड, आईजीआई एयरपोर्ट केंद्र, लोधी रोड, नार्थ कैंपस डीयू और पूसा केंद्र 10 मार्च से ऑफलाइन हैं।
-दिल्ली-एनसीआर की हवा पिछले लॉकडाउन के मुकाबले रही कम स्वच्छ
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