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    पंजाब में सिद्धू साबित हुए सुपर सीएम

    -झुका कांग्रेस आलाकमान -पंजाब में कांग्रेस ने इतिहास दोहराया, मनमोहन-राहुल प्रकरण के बाद सिद्धू-चन्नी प्रकरण आया सामने -पंजाब में डीजीपी व एजी बदलने का हुआ फैसला, चन्नी की एक न चली

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/चंडीगढ़/ब्यूरो न्यूज/- पंजाब में कांग्रेस ने अपना इतिहास दोहराते हुए मनमोहन सिंह व राहुल गांधी प्रकरण की याद एक बार फिर ताजा कर दी। लेकिन फर्क सिर्फ इतना था कि इस बार पीएम मनमोहन सिंह व अध्यक्ष राहुल गांधी न होकर अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के बीच चल रहा विवाद रहा। विवाद में कांग्रेस की चन्नी सरकार को आखिरकार नवजोत सिद्धू के दबाव में झुकना पड़ा। मंगलवार को डीजीपी और एडवोकेट जनरल को हटाने का फैसला ले लिया गया। सिद्धू ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कुर्सी पर कोई भी हो, लेकिन पंजाब के ’सुपर-सीएम वही हैं।
                     इस प्रकरण ने कांग्रेस की 2013 की वो घटना याद दिला दी जिसमें राहुल गांधी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अगुआई वाली यूपीए सरकार का अध्यादेश फाड़ दिया था। जब यह वाकया हुआ तो पीएम डॉ. सिंह अमेरिका दौरे पर थे। उसके बाद ही देश में यह चर्चा शुरू हो गई थी कि डॉ. सिंह पीएम जरूर हैं, लेकिन असली राज गांधी परिवार का है। हालांकि राहुल गांधी के इस रवैए से आहत डॉ. सिंह पीएम पद से इस्तीफा देने तक की सोच चुके थे।
                      पंजाब में भी कुछ ऐसे ही हालात बनते नजर आ रहे हैं। सीएम की कुर्सी पर चरणजीत चन्नी जरूर हैं, लेकिन काम वही हो रहा है जो सिद्धू चाहते हैं। इसको लेकर अब विरोधी भी अब बयानबाजी करने से नही चूक रहे हैं। वहीं भाजपा के पंजाब महासचिव सुभाष शर्मा ने कहा कि जिस प्रकार सिद्धू ने बांह मरोड़कर एजी को हटाने का फैसला करवाया था, उससे यही साबित हो रहा है कि असली सीएम सिद्धू हैं, चरणजीत चन्नी को कांग्रेस ने रबर स्टैंप बनाकर रख दिया है।
                       पंजाब को लेकर कांग्रेस की कई मजबूरियां हैं। सबसे बड़ी चाह पंजाब में सरकार रिपीट करने की है। ताकि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी को ऑक्सीजन मिल सके। पंजाब के सियासी हालात देखकर उन्हें संभावना भी दिख रही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के जाने के बाद कांग्रेस के पास सिद्धू को छोड़कर कोई दिग्गज चेहरा नहीं है। ऐसे में सिद्धू को साथ रखना अब मजबूरी बन चुकी है।
                        मंगलवार को कैबिनेट के बाद सीएम चन्नी और नवजोत सिद्धू की जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। सबसे पहले सीएम ने पंजाबी गीत की ’जित्थे चलेंगा, चलूंगी नाल तेरे, टिकटा दो ले लईं’ पंक्ति कही। इसका हिंदी मतलब है कि आप जहां जाएंगे, मैं भी साथ चलूंगा, दो टिकट ले लेना। मुख्यमंत्री के संवैधानिक पद पर होने के बावजूद सीएम चन्नी की काम न करने देने की बेबसी इससे साफ झलकी।
                        बता दें कि सोनिया गांधी ने दिल्ली में अक्टूबर महीने में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि मुझसे मीडिया के जरिए बात न करें। सिद्धू ने अगले ही दिन सोनिया को लेटर भेजा और फेसबुक-ट्विटर पर पोस्ट कर दिया। चन्नी सरकार ने दिवाली गिफ्ट देते हुए बिजली 3 रुपए सस्ती कर दी। सिद्धू ने फैसले की धज्जियां उड़ा दीं। कहा कि यह सब झूठ और फरेब है। सरकार लॉलीपॉप दे रही है।
                       पंजाब कांग्रेस इंचार्ज हरीश चौधरी ने सिद्धू और सीएम चन्नी को केदारनाथ मनाने के लिए ले गए। वहां तय हुआ कि सिद्धू सरकार के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर नहीं बोलेंगे। सिद्धू नहीं माने और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार को जमकर कोस डाला। सीएम चन्नी ने पेट्रोल 10 रुपए और डीजल 5 रुपए सस्ता किया। सिद्धू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और कहा कि क्या यह 5 साल दे पाओगे।  बिजली समझौते रद्द किए बिना सस्ती बिजली भी नहीं मिलेगी। सिद्धू ने कांग्रेस हाईकमान और चन्नी सरकार को कहा कि पंजाब कांग्रेस का प्रधान चुन लो या फिर समझौते वाले डीजीपी व एजी को। कांग्रेस आलाकमान ने सिद्धू को चुन लिया।

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