नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- मेयर व नेता सदन ने एमसीडी का बजट तैयार करने के दौरान वादे के बावजूद गांवों से जुड़े मसलों के सुझाव न लेने के विरोध में दिल्ली पंचायत संघ के बैनर तले ग्रामीणों ने सिविक सेंटर पर प्रदर्शन किया। इस दौरान मेयर ने मिलने का समय न देने पर ग्रामीणों ने सिविक सेंटर के गेट पर ज्ञापन चस्पा किया। पंचायत संघ के प्रमुख थान सिंह यादव की अगुवाई में किए गए प्रदर्शन में दिल्ली के पूर्व परिवहन व विकास मंत्री देवेंद्र सिंह शौकीन, पूर्व विधायक विजय लोचव, पंचायत संघ के पंच प्रमुख सुनील शर्मा, दलबीर सिंह, राजकुमार यादव, राजपाल कत्याल, एडवोकेट यमन यादव आदि ने मेयर व नेता सदन को ग्रामीण विरोधी करार दिया।
इस मौके पर थान सिंह यादव ने कहा कि मेयर व नेता सदन ने गत आठ दिसंबर को एमसीडी का बजट आम जनता की राय पर तैयार करने का ऐलान किया था। इस संबंध में उन्होंने दिल्ली के 360 गांवों में से एक गांव के ग्रामीण से भी राय नहीं ली। इस कारण उन्होंने मेयर से मिलकर सुझाव देने का निर्णय लिया, मगर मेयर ने आज की तरह उनको मिलने का समय नहीं दिया। वहीं देवेंद्र सिंह शौकीन ने कहा कि मेयर की ओर से ग्रामीणों की उपेक्षा करने के मामले को बर्दास्त नहीं किया जाएगा और आम आदमी पार्टी इसका खामियाजा भुगतने के लिए तैयार हो जाए। आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को गांवों में घूसने नहीं दिया जाएगा। विजय लोचव ने कहा कि दिल्ली के करीब ढाई सौ गांव शहरीकृत घोषित किए जा चुका है, मगर इन गांवों में आज तक शहर जैसी एक भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है। लिहाजा ये गांव न गांव रहे है और न ही शहर बने है। इन गांवों की स्थिति स्लम जैसी है। कई गांवों के चारों ओर चारदीवारी करके उन्हें जेल में तब्दील कर रखा है। वहीं सभी गांवों की सुविधा के मामले में हालत बहुत ही खराब होने के बावजूद ग्रामीणों पर शहरी इलाके के निवासियों की तरह तमाम टैक्स लगा दिए है और उन पर वे नियम थोप दिए है जो गांवों में कभी भी लागू नहीं हो सकते।
सिविक सेंटर पर चस्पा किए ज्ञापन के तहत पंचायत संघ ने सभी शहरीकृत व ग्रामीण गांवों के लाल डोरा व विस्तारित लाल डोरा क्षेत्र को हाउस टैक्स से मुक्त करने, व्यवसायिक गतिविधियों को कनवर्जन चार्ज व पार्किंग शुल्क से मुक्त करने, भवन उप नियम से मुक्त करने, अवैध का आरोप लगाकर बुक की संपत्तियों को राहत देने व विभिन्न मामलों में सील किए गए परिसरों को डी-सील करने, भविष्य में किसी भी मामले में सीलिंग की कार्रवाई न करने, व्यवसायिक श्रेणी में शामिल करने और सभी गांवों के युवाओं को एमसीडी की सभी प्रकार की नौकरियों में आरक्षण देने का सुझाव दिया।
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