
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/-नजफगढ़ छावला स्टैंड पर कोरोना लाॅकडाउन की अवहेलाना कर बुधवार को चैक पर ईक्ट्ठा हुए सैंकड़ों मजदूर परिवार का पेट भरने के लिए कोरोना व कानून से भी दो-दो हाथ करने को तैयार है। हालांकि की मजदूरों की यह भीड़ नजफगढ़ थाने से महज 100 मीटर की दूरी पर ईक्ट्ठा हुई जिसकी पुलिस को भनक तक नही लगी। वहीं मजदूरों का कहना हे कि यदि सरकार के भरोसे रहे तो कोरोना की बजाये परिवार भूख से पहले मर जायेगा।
नजफगढ में लाॅकडाउन को लेकर पुख्ता प्रबंधों का दावा कर रही पुलिस की उस समय पोल खुल गई जब बुधवार को सैंकड़ों मजदूरों ने ईक्ट्ठा होकर कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ाई और पुलिस को इसकी भनक तक नही लगी। जब मजदूरों से इस बारे में पूछा गया तो उन्होने कहा कि क्या करें पहले ही पिछले एक साल से उनका काम नही चल रहा है और फिर दौबारा लाॅकडाउन लग गया तो क्ैसे बच्चों का पेट भर पायेंगे। चैक पर इक्ट्ठा हुए मजदूरों में चंदेसर, सुनील कुमार, रामदीन, सुशील, रीना देवी, कमलेश व हरिप्रकाश ने बताया कि अगर सरकार के भरोसे रहे तो कोरोना का तो पता नही लेकिन भूख से परिवार जरूर मर जायेगा। उन्होने बताया कि पिछले साल तो पुलिस व दूसरे लोगों ने खाना दे दिया था लेकिन इस बार तो ना पैसे है और ना काम तो कैसे बच्चों का पेट भर पायेगे। अब चाहे पुलिस उन्हे पकड़े या बंद करे लेकिन वो काम नही छोड़ सकते। जो भी मिलेगा जैसा भी मिलेगा वो परिवार की खातिर करेंगे। उन्होने कहा कि सरकार को लाॅकडाउन से पहले हमारे परिवारों के बोरे में सोचना चाहिए था। सरकार ऐलान तो बहुत कर रही है लेकिन खाना कहां मिल रहा है। लेकिन उन्होने कहा कि अगर सरकार खाने का प्रबंध कर दे तो वह भी अपने परिवार के साथ सुरक्षित घर में रह सकते हैं।
लाॅकडाउन के लगते ही एक बार फिर मजदूरों का पलायन शुरू हो गया और इस बार दिल की पुलिस भी कुछ नही कर पा रही हे। हालांकि पिछली बार नजफगढ़ पुलिस ने हर जरूरतमंद लोगों तक खाना व राशन पंहुचाने का काम किया था लेकिन इस बार मजदूर थाने की तरफ देखते जरूर है लेकिन फिर आकर चैक पर खड़े हो जाते है ताकि कोई काम मिल सके। मजदूरों का कहना है कि यह लाॅकडाउन आम आदमी की सुरक्षा के लिए नही बल्कि अब नेता इस बिमारी की चपेट में आने लगे है। अपनी जान के डर से यह लाॅकडाउन लगाया गया है। हालांकि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने मजदूरों से पलायन न करने व घरों में रहने की अपील की है और यह भी कहा कि सभी मजूदरों को घर बैठे सरकार 5-5 हजार की मदद देगी। लेकिन फिलहाल मजदूर भूखा मर रहे है और काम करने या घर जाने के अलावा उनके पास कोई चारा नही है।
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