नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नजफगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- नजफगढ़ में कलस्टर बसों से हो रहे रोजाना हादसों ने एक बार फिर लोगों को ब्लूलाईन बसो की याद दिला दी है। तेज रफ्तार कलस्टर बसे लोगों की जिंदगी लील रही है और यातायात पुलिस अभी भी सोई हुई हैं। पिछले दो दिन में ही कलस्टरों बसों ने दो अलग-अलग हादसों में 4 युवाओ ंकी जान ले ली है। जिसे देखते हुए अब यही लगने लगा है कि नजफगढ़ में कलस्टर बसे भी अब ब्लूलाईन की राह पर चल पड़ी है।
नजफगढ़ देहात में यातायात व्यवस्था पूरी तरह से ठप्प हो चली है। पुलिस की लापरवाही के चलते जिंदगी इतनी सस्ती हो गई है कि उसे कभी अवैध तो कभी ओवरलोड वाहन बेखौफ कुचल रहे हैं। क्षेत्र की स्थानीय पुलिस हो या फिर यातायात पुलिस लोगों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों से हमेशा बचने की कोशिश करती नजर आती है। किसी भी जांच या शिकायत पर अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने की कोशिश करते है। जब बात ओवरलोडिंग की होती है तो यातायात के पुलिस के अधिकारी 5 नंबर वालों का हवाला देते है और जब 5 नंबर वालां से शिकायत की जाती है तो वो यातायात पुलिस पर दोष मढ़ देते है। कमोबेश यही हाल स्थानीय पुलिस का बना हुआ है। पुलिस किसी भी दुर्घटना में कार्यवाही करने की बजाये लोगों को नाहक चक्कर लगाने की नसीहत देकर मामले को रफा-दफा कर देती है। वहीं यातायात पुलिस हर चौराहे पर पूरे दलबल के साथ तो खड़ी नजर आती है लेकिन अवैध वाहनो, भारी वाहनो या फिर डीटीसी व कलस्टर बसों की मनमानी पर कोई रोक नही लगाती। हां इतना जरूर करती है कि चौराहो पर यातायात को व्यवस्थित करने की बजाये छोटे वाहनों को रोककर उनका चालान जरूर काटती दिखाई देती है।
लोगों की माने तो यातायात पुलिस अगर सजग व सही तरीके से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करे तो किसी की क्या मजाल है कि अवैध या भारी वाहन बिना टाईम के चल सके। या फिर बसे तेज गति से दौड़ सके। लोगों का आरोप है कि यातायात पुलिस सिर्फ स्कूटी, बाइक व कारों का ही चालान काट कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेती है क्योंकि इन वाहनों से उसे महीना नही मिलता। जबकि उनके सामने ही बड़े वाहन नियम तोड़ते है लेकिन पुलिस आंख बंद कर तमाशबीन बनी रहती है।
बात करें कलस्टर बसों की तो नजफगढ़ में करीब पांच बस डिपों है जिनमें करीब 2 हजार बसे है। ये बसे पूरा दिन-रात नजफगढ़ की सड़कों पर काल की तरह दौड़ती है। चालक अपना चक्कर जल्द पुरा करने के चक्कर में कानूनों तक की परवाह नही करते जिसकारण अकसर दुर्घटनाये घट रही है और प्रशासन मूक बना हुआ है। बस चालक अकसर एक-दूसरें से आगे निकलने, लेन तोड़कर दूसरी लेन में चलने व बसों को बीच सड़क पर रोककर सवारी बैठाने का काम यातायात पुलिस के सामने ही करते है फिर भी पुलिस कोई कार्यवाही नही करती। हालांकि पिछले दो दिन में कलस्टरों बसों के कारण 4 युवा अपनी जान गवां चुके है। अब देखना यह है कि यातायात विभाग अब भी जागता है या नही।
वहीं झाड़ौदा रोड़ सब्जी मंडी के साथ स्थित डीटीसी बस टर्मिनल भी अब लोगों के लिए राहत की जगह आफत ज्यादा बनता जा रहा है। बसों की भारी संख्या टर्मिनल में न समाकर सड़कों पर जाम लगा रही है। जिसकारण नौकरीपेशा लोगों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि लोग कई बार इसकी शिकायत स्थानीय विधायक व मंत्री कैलाश गहलोत से कर चुके है लेकिन अभी तक इसका कोई समाधान नही निकला है।
-दो दिन में कलस्टर बसों के साथ हुई दुर्घटना में गई 4 युवकों की गई जान
-सड़कों पर तेज रफ्तार में दौड़ रही बसे, यातायात पुलिस सोई
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