देश में समान नागरिक संहिता लागू करने का ये सही समय- दिल्ली हाईकोर्ट

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देश में समान नागरिक संहिता लागू करने का ये सही समय- दिल्ली हाईकोर्ट

-दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी- धर्म-जाति, समुदाय से ऊपर उठ रहा देश, लागू हो यूनिफॉर्म सिविल कोड’ -केंद्र की भाजपा सरकार का आधा काम किया एचसी ने पूरा, अब सरकार की इच्छा शक्ति पर निर्भर

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/– अभी तक चुनावी मुद्दों में ही रहे समान नागरिक आचार संहिता को अब यर्थाथ रूप मिलने की उम्मीदे बढ़ गई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक तलाक के मामले में सुनवाई के दौरान समान नागरिक संहिता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि देश में आज समान नागरिक आचार संहिता की जरूरत। कोर्ट ने कहा कि धर्म-जाति, समुदाय से आज देश ऊपर उठ रहा है। जिसे देखते हुए देश में यूनिफॉम्र कोड को लागू करने का ये सही समय है।
                          अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि आर्टिकल 44 में जिस यूनिफार्म सिविल कोड की उम्मीद जताई गई है, अब उसे हकीकत में बदलना चाहिए। तलाक के एक मामले में फैसला देते हुए अदालत ने कहा कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड आवश्यक है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने अपने फैसले में कहा कि आज का भारत धर्म, जाति, समुदाय से ऊपर उठ चुका है। आधुनिक हिंदुस्तान में धर्म-जाति की बाधाएं भी खत्म हो रही हैं। इस बदलाव की वजह से शादी और तलाक में दिक्कत भी आ रही है। आज की युवा पीढ़ी इन दिक्कतों से जूझे यह सही नहीं है। इसी के चलते देश में यूनिफार्म सिविल कोड लागू होना चाहिए। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि आर्टिकल 44 में जिस यूनिफार्म सिविल कोड की उम्मीद जताई गई है, अब उसे हकीकत में बदलना चाहिए। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि इस फैसले को केंद्रीय कानून मंत्रालय भेजा जाए, ताकि वह इस पर विचार कर सके।
                         अदालत जब तलाक के एक मामले में सुनवाई कर रही थी तो उसके सामने यह सवाल खड़ा हो गया था कि तलाक पर फैसला हिन्दू मैरिज एक्ट के मुताबिक दिया जाए या फिर मीना जनजाति के नियम के तहत। इस मामले में पति हिन्दू मैरिज एक्ट के अनुसार तलाक चाहता था, जबकि पत्नी चाहती थी कि वो मीना जनजाति से आती है तो उसके अनुसार ही तलाक हो क्योंकि उस पर हिंदू मैरिज एक्ट लागू नहीं होता। इसलिए वह चाहती थी कि पति द्वारा फैमिली कोर्ट में दाखिल तलाक की अर्जी खारिज की जाए। पत्नी की इस याचिका के बाद पति ने हाईकोर्ट में उसकी दलील के खिलाफ याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने पति की अपील को स्वीकार किया और यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की जरूरत महसूस करते हुए उपरोक्त बातें कहीं।
                            हालांकि काफी समय से समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड देश में चर्चा का विषय बना हुआ है और समस-समय राजनीतिक पार्टियों ने भी इसे अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया है लेकिन आज तक कोई पार्टी इसे लागू नही कर पाई। वहीं भाजपा ने चुनाव के दौरान सिविल कोड को देश में लागू करने के लिए बड़ा मुद्दा बनाया था और भाजपा चाहती भी है इसे लागू करना फिर भी कर नही पा रही है। लेकिन कोर्ट की टिप्पणी ने भाजपा का आधा काम कर दिया है। अब सिर्फ सरकार की इच्छा शक्ति पर निर्भर है कि वह इस मुद्दे को कैसे हल करती है। और अब दिल्ली हाईकोर्ट टिप्पणी को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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