नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- दिल्ली की कच्ची कॉलोनियों में रेरा के नए नियम के चलते प्लॉटों की रजिस्ट्री पर संकट आ गया है। रेरा ने एक आदेश में कहा है कि दिल्ली में नियमों के खिलाफ जाकर छोटे प्लाट पर तय संख्या से ज्यादा फ्लैट का निर्माण हो रहा है। रेरा के मुताबिक 200 गज के प्लाट पर 20-20 फ्लैट तैयार किया जा रहे हैं। दिल्ली में रेरा ने 50 गज के प्लॉट पर सिर्फ तीन मंजिल बनाने के निर्देश दिये है। इससे उपर के निर्माण को अवैध घोषित किया है और उनके खिलाफ कार्यवाही के निर्देश भी दिये हैं।
दिल्ली में 50 वर्ग मीटर में बनने वाली इमारत का दायरा सीमित करने वाले आदेश का सबसे ज्यादा असर सैकड़ो कच्ची कॉलोनियों पर पड़ेगा। नए नियम के कारण इन कार्यों में मौजूद लाखों संपत्तियों पर संकट के बादल छा गए हैं। दरअसल इन इलाकों में बहुत ही कम संपत्तियों के पास नगर निगम से पास किए हुए नक्शे हैं, ऐसे में इन संपत्तियों की खरीद फरोख्त अब मुश्किल में दिख रही है।
दिल्ली में 1600 से ज्यादा कालोनियां हैं जिन्हें कच्ची कॉलोनी की श्रेणी में रखा जाता है। इनमें से ज्यादातर को नोटिफिकेशन जारी कर पास भी कर दिया गया था। इसके बाद से यहां पीएम उदय योजना के तहत रजिस्ट्रियां भी शुरू हो गई थी। जिस कारण इन इलाकों में बिल्डरों के साथ-साथ आम लोगों ने भी धड़ल्ले से छोटे प्लॉटों में 5 से 6 मंजिल फ्लैट बनाए। बड़ी संख्या में लोगों ने यहां प्रॉपर्टी भी खरीदी लेकिन अब रेरा के नए नियम से लाखों संपत्तियों पर संकट के बादल छा गए हैं। इन कालोनियां में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है और भवनों के नक्शे भी पास नहीं है। इन इलाकों में बिल्डर की ओर से प्लांट पर आम तौर पर पार्किंग और चार मंजिलें बनाई गई है लेकिन अब 50 मीटर तक के प्लाट पर केवल तीन मंजिलों को वैधता प्रदान की गई है। ऐसे में इन प्लांट पर बनी चौथी मंजिल यूं भी पूरी तरह से अमान्य हो जाती है। इन कॉलोनी में स्थित संपत्तियों को यूं भी बैंक लोन मिलने में दिक्कत होती है लेकिन कुछ वित्तीय कंपनियां यहां पर मौजूद संपत्तियों पर भी लोन देती हैं। एक वित्तीय कंपनी से जुड़े एक अधिकारी बताते हैं कि 50 मीटर तक के प्लाट की चौथी मंजिल अमान्य घोषित हो गई है इसलिए अब यहां पर किसी भी तरह का लोन नहीं दिया जाएगा। पहले इसे जारी लोन का क्या होगा इसके बारे में अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
डीडीए के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेरा के आदेश से डीडीए के किसी प्रोजेक्ट पर असर नहीं पड़ेगा। डीडीए की तरफ से निर्धारित किए गए मास्टर प्लान 2021 और भवन निर्माण के नियमों का रेरा अनुपालन करता है। नियमों के तहत ही रेरा के अधीन संचालित होने वाले रजिस्ट्री कार्यालयों पर संपत्ति की रजिस्ट्री सुनिश्चित की जाती है। उधर नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मौजूदा समय में ऐसा देखा गया है कि विभिन्न जगहों पर कई लोग भवन निर्माण का उल्लंघन करते हुए एक निश्चित क्षेत्र में चार मंजिल से भी अधिक मकान बना लेते हैं। इन पर समय-समय पर कार्रवाई भी होती है। जिला दक्षिण-पश्चिम कार्यालय परिषद के अंदर संचालित रजिस्ट्री कार्यालय के अंदर बुधवार को भीड़ काफी कम थी। कार्यालय संख्या 2 में दोपहर तक कोई भी रजिस्ट्री करने के लिए नहीं पहुंचा। कार्यालय में तैनात कर्मचारियों ने बताया कि रेरा के नए आदेश के चलते रजिस्ट्री थम गई है। कार्यालय संख्या 2 में 8-10 लोग ही मौजूद थे।
रेरा ने एक आदेश जारी किया है जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में नियमों के खिलाफ जाकर छोटे प्लॉटों पर संख्या से ज्यादा फ्लैट का निर्माण हो रहा है। रेरा के मुताबिक 200 गज के प्लाट पर 20-20 फ्लैट तैयार किया जा रहे हैं। इसे लेकर रेरा ने सभी निकायों व राजस्व विभाग को निर्देश दिया था कि वह इस तरह के फ्लैट की रजिस्ट्री ना करें। उसके बाद से बीते सोमवार से दिल्ली के 29 सब रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्री बंद की गई है। रेरा के आदेश के बाद संपत्ति की खरीद फरोख्त का पंजीकरण करने वाले सब रजिस्ट्रार कार्यालय की रौनक काम हो गई है। अब लोगों में इसको लेकर चिंता बढ़ गई है और लोग अधिक जानकारी के लिए जिला अधिकारियों से बात कर रहे हैं।
-रेरा के नए नियम के चलते रजिस्ट्री में आ रही दिक्कत, रजिस्ट्रार कार्यालयों से गायब हुई रौनक
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