
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- अब विश्व में कोरोना के नये वेरियंट ओमिक्रॉन का संकट छाया हुआ है। भारत में भी
ओमिक्रॉन के तीन केस मिल चुके हैं। लेकिन इस संबंध में आईसीएमआर के एक्सपर्ट पैनल का दावा है कि ओमिक्रॉन ज्यादा घातक नही है। क्योंकि ओमिक्रॉन जल्दी फैलता है इसलिए घातक नही है। वहीं डब्ल्यएचओं ने भी कहा है कि विश्व में 37 देशों में ओमिक्रॉन फैल चुका है लेकिन अभी तक इससे किसी की मौत की कोई सूचना नही आई है।
देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट के कुछ मामले सामने आए हैं। संभव है अगले कुछ दिनों में इसके मामलों की संख्या में और बढ़ोतरी। क्योंकि वायरस का यह बदला हुआ स्वरूप ज्यादा से ज्यादा लोगों को न सिर्फ संक्रमित करता है बल्कि उन पर अपना प्रभाव भी डालता है। आईसीएमआर के वैज्ञानिकों का दावा है कि इस वायरस के बदले हुए स्वरूप की आक्रामकता ही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी है। आईसीएमआर के चीफ एपिडमोलॉजिस्ट डॉक्टर समीरन पांडा का कहना है कि जो वायरस ज्यादा से ज्यादा फैलता है, वह घातक नहीं हो सकता। इसके न सिर्फ प्रमाण हैं बल्कि वैज्ञानिक तथ्यों पर यह बात कही जा रही है। इसलिए लोगों को इस वायरस के बदले हुए स्वरूप से बेवजह डरने की जरूरत नहीं है। लेकिन सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुख्य महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर समीरन पांडा कहते हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से लेकर डेल्टा और अन्य वैरिएंट में अभी तक के अध्ययन के दौरान सिर्फ यही पाया गया कि जिन बदले हुए स्वरूपों में ज्यादा से ज्यादा फैलने की आक्रामकता थी, उनका लोगों पर असर कम हुआ। वजह बताते हुए डॉक्टर समीरन पांडा कहते हैं कि जिन बदले हुए स्वरूपों में लक्षण बहुत हल्के होते हैं और उनमें संक्रामक क्षमता ज्यादा होती है, वह अपना असर नहीं दिखा पाते हैं। उदाहरण देते हुए डॉक्टर समीरन पांडा कहते हैं कि जो वायरस बहुत घातक होगा और अपने होस्ट (संक्रमित व्यक्ति) को ही मार डाले, तो ऐसे में मृतक व्यक्ति से संक्रमण फैलने का खतरा न के बराबर होता है। ऐसी दशा में संक्रमण का स्तर उतनी तेजी से नहीं फैलता है, जितनी तेजी से शुरुआती दौर में ओमिक्रॉन स्वरूप के मामले देखे गए हैं।
डॉक्टर समीरन पांडा का दावा है कि जितने भी मामले भारत में सामने आएंगे, उन सब से निपटने के लिए ज्यादा वैक्सीनेशन और कोविड से बचने के लिए तैयार की गई गाइडलाइन ही सबसे बड़ा बचाव हैं। उन्होंने बताया कि क्योंकि यह वैरिएंट भी उसी तरीके से फैलता है जैसे कि पुराना वैरिएंट फैलता था। पुराने वैरिएंट से बचने के जो उपाय और तौर-तरीके थे, वे इस वेरिएंट में भी लागू और प्रभावी होते हैं। ऐसे में बेहतर है कि लोग डरने की बजाए इस महामारी से बचने के लिए बताए गए उपायों का पालन करें।
पूरी दुनिया में सबसे पहले ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगाने वाली साउथ अफ्रीकन मेडिकल एसोसिएशन की चेयरपर्सन डॉक्टर एंजेलिक कोएट्जी का दावा है कि इस वैरिएंट के फैलने की क्षमता पुराने वैरिएंट के मुकाबले बहुत ज्यादा है, लेकिन यह उतना घातक नहीं है जितना डेल्टा था। इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक डॉ कोएट्जी का दावा है कि शुरुआती लक्षण पता चलने पर मरीज को अस्पताल में दाखिल होने तक की भी जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि यह शुरुआती लक्षण डेल्टा वैरिएंट के लक्षणों से बिल्कुल अलग हैं।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में डॉक्टर कोएट्जी की ओर से दावा किया गया है कि शुरुआती दिनों में उन्होंने 24 घंटे के भीतर 11,000 से ज्यादा मरीज को संक्रमित किया था। हालांकि उनकी ओर से राहत भरी जानकारी यह जरूर मीडिया रिपोर्ट में आई है कि इसमें वैक्सीन सबसे ज्यादा कारगर है। आईसीएमआर के वैज्ञानिकों का भी कहना है कि इस वैरिएंट में वैक्सीन पूरी तरीके से कारगर है।
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