जयंत चैधरी होंगे राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

September 2023
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
September 26, 2023

हर ख़बर पर हमारी पकड़

जयंत चैधरी होंगे राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष

-पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वर्चुअल मीटिंग में हुआ फैसला, पिता अजित सिंह की लेंगे जगह
जयंत चैधरी एवं चैधरी अजित सिंह, जयंत चैधरी अब राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- जयंत चैधरी अब राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष होंगे। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पिता चैधरी अजित सिंह के निधन के बाद उन्हें पार्टी की कमान देने का फैसला लिया गया है। मंगलवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वर्चुअल मीटिंग के दौरान जयंत चैधरी को अध्यक्ष चुने जाने का फैसला लिया गया है। फिलहाल पार्टी का समाजवादी पार्टी के साथ प्रदेश में गठबंधन है।
                    यहा बता दें कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में प्रभाव रखने वाली आरएलडी के मुखिया रहे चैधरी अजित सिंह का 6 मई कोरोना संक्रमण के चलते निधन हो गया था। इसके बाद से ही यह पद खाली था, जिसे अब उनके बेटे ने ही संभाला है। इससे पहले जयंत चैधरी उपाध्यक्ष के तौर पर पार्टी का कामकाज देख रहे थे। चैधरी अजित सिंह ने 2014 में बागपत सीट से चुनाव हारने के बाद जयंत चैधरी को आगे बढ़ाने का फैसला लिया था और उन्हें उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी थी। तब से ही वह पार्टी से जुड़े अहम फैसले ले रहे थे। लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से पोस्ट ग्रैजुएट की डिग्री हासिल करने वाले जयंत चैधरी अपने पिता अजित सिंह के अलावा दादा चैधरी चरण सिंह की विरासत को भी आगे बढ़ाएंगे। हालांकि आगामी 2022 के विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को दोबारा मजबूत स्थिति में ला पाना उनके लिए एक चुनौती होगा।
                      दरअसल आरएलडी का परंपरागत वोट बैंक कहे जाने वाले जाट समुदाय का झुकाव 2014 के बाद से बीजेपी की ओर बढ़ा है। 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद से आरएलडी के सियासी समीकरण बिगड़ते दिखे थे। हालांकि बीते साल से जारी किसान आंदोलन के चलते आरएलडी के पक्ष में एक बार फिर से समर्थन जुटने की उम्मीद की जा रही है। बता दें कि 2014 में खुद जयंत चैधरी को भी मथुरा सीट से हार का सामना करना पड़ा था। यही नहीं 2019 में भी वह बागपत लोकसभा सीट से पराजित हो गए थे। हालांकि किसान आंदोलन में वह लगातार एक्टिव नजर आए हैं। आरएलडी की ओर से लगातार किसान पंचायतें की गई हैं। पिता के बगैर जयंत चैधरी की 2022 में सबसे बड़ी और पहली सियासी परीक्षा होगी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी आरएलडी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि आने वाले दिनों में जयंत चैधरी की लीडरशिप में आरएलडी का प्रदर्शन कैसा रहता है।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox