
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/भावना शर्मा/- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की एनडीएमसी की सदस्यता छिन सकती हैं। भाजपा के सदस्य कुलजीत चहल ने पानी के मुद्दे पर सीएम केजरीवाल को घेरने के दौरान यह प्रस्ताव भी रखा। उनके अनुसार सीएम केजरीवाल पिछले कई महीने से एनडीएमसी काउंसिल की बैठक में नही आ रहे है और नियम के मुताबिक अगर कोई सदस्य लगातार तीन महीने तक काउंसिल की बैठक में हाजिर नही होता है तो उसकी सदस्यता रद्द हो सकती है। कुलजीत चहल के प्रस्ताव पर चेयरमैन ने अब अगली बैठक में सुनवाई करने व वोटिंग करने का आदेश दिया है।
इन दिनों भाजपा पानी के मुद्दे पर आप को घेरने में जुटी हुई है। भीषण गर्मी के बीच दिल्ली के कई इलाकों में पानी की कम आपूर्ति को लेकर जनता भी तीखे सवाल पूछ रही है। इस बीच बुधवार को एनडीएमसी की बैठक में भी सीएम के सामने यह मुद्दा उठा जोरशोर से उठाया गया। नौबत यहां तक आ गई कि अरविंद केजरीवाल अपनी कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए। सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इतना ही नहीं केजरीवाल की सीट को खाली घोषित कराने के लिए बीजेपी के मेंबर कुलजीत चहल प्रस्ताव भी ले आए हैं।
सोशल मीडिया पर भाजपा के कई नेताओं की ओर से डाले गए वीडियो में दिख रहा है कि केजरीवाल एनडीएमसी काउंसिल की बैठक में मौजूद हैं और बीजेपी के सदस्य कुलजीत चहल पानी का मुद्दा उठाते हैं। इस दौरान काफी शोरगुल होने लगता है। कुछ देर बाद केजरीवाल सीट छोड़कर खड़े हो जाते हैं। इस दौरान कुलजीत मुख्यमंत्री से यह अपील करते हुए सुने जा सकते हैं कि बैठक छोड़कर ना जाएं और सवालों का जवाब दें। पानी के मुद्दे पर आपकी सरकार इतनी डरती क्यों हैं?
इसी दौरान काउंसिल के सदस्य कुलजीत ने मुख्यमंत्री की सदस्यता छीनने के लिए प्रस्ताव पेश कर दिया। उन्होंने चार महीनों से काउंसिल की बैठकों से केजरीवाल की गैरहाजिरी का हवाला देकर यह प्रस्ताव पेश किया है। चेयरमैन ने इसे अगली बैठक में चर्चा और वोटिंग के लिए पेश करने को कहा है।
कुलजीत ने प्रस्तावम में एनडीएमसी ऐक्ट 1994 की धारा 8 (2) का भी जिक्र किया है, जो कहता है, ’’यदि लगातार तीन महीने कोई सदस्य बिना अनुमित काउंसिल की बैठकों से गैरहाजिर रहता है तो काउंसिल केंद्र सरकार से सिफारिश कर सकता है कि उसकी सीट को ’रिक्त’ घोषित कर दिया जाए।’’ प्रस्ताव के मुताबिक दिल्ली के मुख्यमंत्री जो एनडीएमसी के सदस्य और नई दिल्ली से विधायक भी हैं, दिसंबर 2021 से लेकर मार्च तक की बैठकों से गैरहाजिर रहे और कथित तौर पर उन्होंने इसके लिए अनुमति नहीं ली थी। अरविंद केजरीवाल या आप सरकार की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
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