चीन की बुहान लैब से ही लीक हुआ कोरोना- विशेषज्ञों ने किया दावा

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

September 2023
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
September 24, 2023

हर ख़बर पर हमारी पकड़

चीन की बुहान लैब से ही लीक हुआ कोरोना- विशेषज्ञों ने किया दावा

-पहला केस मिलने के एक महीने पहले वुहान की लैब के 3 रिसर्चर पड़े थे बीमार, तीनों में देखे गये थे कोरोना के लक्षण


नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/वाशिंगटन/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कोरोना एक प्राकृतिक कहर नही बल्कि चीन का मैन मेड वायरस हो सकता है। यह बात धीरे-धीरे अब पुख्ता होती जा रही है। पहले ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने चीन में 2015 में कोरोना पर रिसर्च होने का दावा किया था। अब अमेरिकी मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में वायरस को लेकर बड़ा खुलासा किया है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने दुनिया और विश्व स्वास्थ्य संगठन से कोरोना को लेकर बहुत जरूरी जानकारी छिपाई है।
                     रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने डब्ल्यूएचओ को बताया था कि वुहान में कोरोना का पहला केस 8 दिसंबर 2019 को मिला था। जबकि वायरस से संक्रमण का मामला इसके एक महीने पहले ही सामने आ गया था। चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के 3 रिसर्चर्स को नवंबर 2019 में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बीमारी के दौरान तीनों डॉक्टरों में कोरोना के लक्षण देखे गए थे। इसके बाद वुहान की लैब से वायरस के लीक होने का शक बढ़ गया है। रिपोर्ट में बीमार पड़े रिसर्चर्स की संख्या, समय और उनके लक्षण भी बताए गए हैं। एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि ये रिपोर्ट उनके एक अंतरराष्ट्रीय पार्टनर ने उपलब्ध कराई है। इसकी जांच होनी चाहिए। हो सकता है कि वुहान लैब के डॉक्टर रिसर्च करते समय बीमार हुए हों। हमें इस बारे में सटीक जानकारी मिली थी।
                      कुछ समय पहले कोरोना वायरस पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के टॉप मेडिकल एडवाइजर एंथनी फॉसी का बयान भी सामने आया था। उन्होंने कहा था कि वे नहीं मानते कि ये वायरस अपने आप पैदा हो सकता है। इसकी जांच की जानी चाहिए। कई देश ॅभ्व् से कोरोना वायरस का चीनी लैब से संबंध होने की स्वतंत्र जांच कराने की मांग कर रहे हैं। इससे पहले जनवरी में तब के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने एक फैक्ट शीट जारी की थी। इसमें कहा गया था कि वुहान लैब के रिसर्चर्स में कोरोना के लक्षण देखे गए थे।
                       अमेरिकी मीडिया की इस रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जा सकता। पिछले साल अमेरिका के तब के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कई बार सार्वजनिक तौर पर कोरोना को ‘चीनी वायरस’ कहा था। उन्होंने कहा था- यह चीन की लैब में तैयार किया गया और इसकी वजह से दुनिया का हेल्थ सेक्टर तबाह हो रहा है, कई देशों की इकोनॉमी इसे संभाल नहीं पाएंगी। ट्रम्प ने तो यहां तक कहा था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के पास इसके सबूत हैं और वक्त आने पर ये दुनिया के सामने रखे जाएंगे। बहरहाल, ट्रम्प चुनाव हार गए और बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन ने अब तक इस बारे में सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं कहा। हालांकि ब्लूमबर्ग ने पिछले दिनों एक रिपोर्ट में इस तरफ इशारा किया था कि अमेरिका इस मामले में बहुत तेजी और गंभीरता से जांच कर रहा है।
                        वहीं इससे पहले ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने भी दावा किया था कि कोरोना वायरस 2020 में अचानक नहीं आया, बल्कि इसकी तैयारी चीन 2015 से कर रहा था। चीन की सेना 6 साल पहले से कोविड-19 वायरस को जैविक हथियार की तरह इस्तेमाल करने की साजिश रच रही थी। ‘द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन’ ने अपनी रिपोर्ट में ये खुलासा किया था। रिपोर्ट में चीन के एक रिसर्च पेपर को आधार बनाया गया था। इसमें कहा गया है कि चीन 6 साल पहले से सार्स वायरस की मदद से जैविक हथियार बनाने की कोशिश कर रहा था। रिपोर्ट के मुताबिक चीनी वैज्ञानिक और हेल्थ ऑफिसर्स 2015 में ही कोरोना के अलग-अलग स्ट्रेन पर चर्चा कर रहे थे। उस समय चीनी वैज्ञानिकों ने कहा था कि तीसरे विश्वयुद्ध में इसे जैविक हथियार की तरह उपयोग किया जाएगा। इस बात पर भी चर्चा हुई थी कि इसमें हेरफेर करके इसे महामारी के तौर पर कैसे बदला जा सकता है।
                     रिपोर्ट में इस बात पर भी सवाल उठाया गया है कि जब भी वायरस की जांच करने की बात आती है तो चीन पीछे हट जाता है। ऑस्ट्रेलियाई साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट रॉबर्ट पॉटर ने बताया कि ये वायरस किसी चमगादड़ के मार्केट से नहीं फैल सकता। यह थ्योरी पूरी तरह से गलत है। चीनी रिसर्च पेपर पर गहरी स्टडी करने के बाद रॉबर्ट ने कहा- वह रिसर्च पेपर बिल्कुल सही है। हम चीन के रिसर्च पेपर पर अध्ययन करते रहते हैं। इससे पता चलता है कि चीनी वैज्ञानिक क्या सोच रहे।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox