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  • खर्राटे लेने वाले हो जाएं सावधान, दिल-दिमाग का मरीज बना सकती है खर्राटे लेने की आदत

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    खर्राटे लेने वाले हो जाएं सावधान, दिल-दिमाग का मरीज बना सकती है खर्राटे लेने की आदत

    -विश्व फेफड़ा दिवस पर एम्स ने किया खर्राटों पर अध्ययन का खुलासा

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- विश्व फेफड़ा दिवस पर जोर से खर्राटे लेने की आदत पर किये अध्ययन का खुलासा करते हुए एम्स के चिकित्सकों ने कहा कि जोर से खर्राटे लेने की आदत दिल-दिमाग का मरीज बना सकती है। देश में तेजी से वयस्क इसकी जकड़ में आ रहे हैं। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) एक सामान्य दीर्घकालिक चिकित्सीय बीमारी है। यह किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकता है, लेकिन बुजुर्ग और अधिक वजन वाले व्यक्तियों में इसके होने का खतरा ज्यादा है।

    इस बिमारी में आमतौर पर मरीजों को नींद के दौरान सांस लेने में रुकावट होती है, जिससे जोर से खर्राटे आने लगते हैं। इसमें नींद के दौरान दम घुटने या हांफने जैसी तकलीफ होने लगती है। यदि लंबे समय तक इसका उपचार नहीं करवाया जाता तो मरीज को आगे चलकर उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, स्ट्रोक और चयापचय संबंधी विकारों का खतरा बढ़ जाता है। इसके बावजूद भारतीयों में इसे लेकर जागरूकता कम है।
               देश में इसकी स्थिति को पहचाने के लिए एम्स के पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग ने एक अध्ययन किया। भारतीय वयस्कों में ओएसए की व्यापकता की व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-विश्लेषण अध्ययन नाम दिया गया। इसकी मदद से यह पता लगाया गया कि कितने अनुपात में भारतीय वयस्क इस समस्या से पीड़ित हैं। इसमें पिछले दो दशकों में किए गए सात अध्ययनों के परिणामों का विश्लेषण किया गया, जिसमें 35.5 से 47.8 वर्ष की औसत आयु वाले 11,009 व्यक्तियों को शामिल किया गया। अध्ययन से पता चला कि 11 फीसदी भारतीय वयस्क ओएसए से पीड़ित हैं। इनमें से 5 फीसदी वयस्क मध्यम या गंभीर रूप से पीड़ित हैं।
              महिलाओं में ओएसए पांच प्रतिशत तक है, जबकि पुरुषों में 13 फीसदी तक पाया गया है। देश में 15-64 वर्ष के आयु वर्ग की आबादी पर परिणामों का विस्तार करने पर यह करीब 10 करोड़ भारतीयों में ओएसए का संकेत देता है जिसमें से करीब साढ़े चार करोड़ मध्यम या गंभीर रूप से पीड़ित हैं।

    देश पर बढ़ेगा बोझ
    अध्ययन से जुड़े एम्स के पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग के प्रमुख व प्रोफेसर डॉ. अनंत मोहन का कहना है कि आने वाले दिनों में यह समस्या बड़े बोझ का संकेत है। यह हमारी कामकाजी आबादी को प्रभावित कर रही है जिससे आने वाले दिनों में देश की आर्थिक उत्पादकता और दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। इसकी रोकथाम के लिए बड़े स्तर पर ओएसए सहित नींद संबंधी विकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। हमें हृदय रोग व मधुमेह जैसे अन्य जीवनशैली विकारों की तरह ही इससे निपटने की जरूरत है। इससे बचाव के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय और नीति तैयार करनी होगी। इससे जुड़े लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

    लक्षण
    रात में गला दबने का अहसास होना
    सांस फूलने की समस्या आनी
    अचानक शांत गहरी नींद टूट जाना
    खर्राटे लेना
    दिनभर नींद आना
    रात में पसीना आना
    रक्तचाप बढ़ना

    यह है कारण
    जब व्यक्ति नींद के दौरान सांस लेता है तो हवा मुंह और नाक से बिना रुकावट के बहती है और फेफड़ों तक पहुंचती है, लेकिन जब ओएसए से ग्रसित व्यक्ति सोता है, तो उनकी गले की मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं जिससे वायु मार्ग बंद हो जाता है। ऐसा होने पर बहुत कम मात्रा में हवा फेफड़ों तक पहुंचती है।

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