क्या गुल खिलायेगी वरूण गांधी व डिपंल यादव की मुलाकात..?  

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September 9, 2024

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क्या गुल खिलायेगी वरूण गांधी व डिपंल यादव की मुलाकात..?  

-संसद के गलियारे में हुई मुलाकात बनी चर्चा का विषय, राजनीतिक गलियारों में 2024 को लेकर बन रहे नये समीकरण

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/– संसद के गलियारे में हुई सपा सांसद डिंपल यादव व भाजपा सांसद वरूण गांधी की एक मुलाकात से उत्तर प्रदेश की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। हालांकि दोनो ही नेता इसे औपचारिक पारिवारिक मुलाकात बता रहे हैं। लेकिन यूपी के राजनीतिक जानकार इसके नए समीकरण देख रहे हैं। दोनों की मुलाकात के बाद सियासी हलकों में कयासों का दौर एक बार फिर शुरू हो गए हैं।
                अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भले ही अभी कुछ महीने बाकी हों, लेकिन सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां जोरों पर शुरू कर दी है। इसी बीच छोटे दल और नेता अपनी सियासी नैय्या पार लगाने के लिए मुफीद और जिताऊ पार्टी के लिए हाथ पैर मार रहे हैं। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओपी राजभर, सपा विधायक रहे दारा सिंह चौहान का बीजेपी के साथ जाना इसी कड़ी का हिस्सा भर है। वहीं इस वक्त सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही एक तस्वीर ने सियासी पारा बढ़ा दिया है। इस तस्वीर में समाजवादी पार्टी से सांसद डिम्पल यादव बीजेपी के एक चर्चित सांसद से बात करते हुए नजर आ रही हैं।
                 दरअसल सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी व मैनपुरी से लोकसभा सांसद डिंपल यादव बीजेपी सांसद वरुण गांधी के साथ दिखाई दे रही है। वरुण गांधी भारतीय जनता पार्टी से पीलीभीत लोकसभा सीट से सांसद हैं। यह वायरल हो रही तस्वीर लोकसभा की लॉबी की बताई जा रही है। इस वक्त मानसून सत्र चल रहा है। इसमें हिस्सा लेने के लिए दोनों दलों के सांसद संसद पहुंचे थे। फिलहाल इस तस्वीर में डिंपल यादव और वरुण गांधी एक दूसरे से क्या बात कर रहे हैं ये तो सामने नहीं आया है, लेकिन फिर भी चुनावी मौसम में इस तरह से सपा सांसद और बीजेपी सांसद की एक साथ फोटो वायरल होने से सियासी पारा जरूर बढ़ गया है।

क्या वरुण गांधी बदलेंगे पाला?
वहीं इस तस्वीर के वायरल होने के बाद से राजनीतिक गलियारों में लोग तरह तरह की चर्चाएं कर रहे हैं। चर्चा ये भी हो रही है कि क्या वरुण गांधी आगामी लोकसभा चुनाव से पहले कोई बड़ा कदम उठाने वाले है। क्योंकि वरुण गांधी बीजेपी से सांसद रहते हुए भी सरकार के खिलाफ मुखर रहते हैं। वरुण गांधी बेरोजगारी, किसान, अग्निवीर योजना जैसे तमाम मुद्दों के साथ ही अपनी ही सरकार की योजनाओं को लेकर समय समय पर सोशल मीडिया के जरिये भी अपनी बात रखते हुए नजर आते है। इसके कारण कहीं ना कहीं बीजेपी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाती है। यही वजह है कि वरुण हमेशा चर्चा में बने रहते हैं और लोकसभा चुनाव से पहले पाला बदलने की भी समय-समय पर चर्चाएं चलती रही है।

चर्चाओं का बाजार गर्म
इस दौरान एक दावा यह भी किया जा रहा है कि बीजेपी में रहते अपनी सरकार की योजनाओं की कड़ी आलोचना करने के चलते बीते विधानसभा चुनाव के दौरान चर्चा थी कि वरुण गांधी बीजेपी का साथ छोड़ सपा गठबंधन में शामिल हो सकते हैं। दावा है कि इसके लिए उनकी अखिलेश यादव से बातचीत भी हुई थी लेकिन उस वक्त ऐसा नहीं हुआ। इसी साल शुरुआती महीने में वरुण गांधी के समाजवादी पार्टी में शामिल होने की अटकलों को लेकर जब सपा नेता शिवपाल सिंह यादव से पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि भ्रष्ट भाजपा सरकार को सत्ता से बाहर करने वाले सभी लोगों का स्वागत है।

अखिलेश की करते रहे हैं तारीफ
उधर वरुण और अखिलेश यादव एक दूसरे की तारीफ भी कर चुके हैं। सपा मुखिया अखि‍लेश यादव ने अपने एक बयान में बीजेपी सांसद वरुण गांधी को लेकर कहा था कि वरुण गांधी अच्छे नेता हैं, यदि सपा में आते हैं तो उनका स्वागत है। हालांकि वरुण के सपा के साथ साथ कांग्रेस में भी जाने की अटकलें लग रही थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक सवाल के जवाब में बोले थे कि मैं वरुण गांधी को गले लगा सकता हूं, लेकिन उनकी विचारधारा को स्वीकार नहीं कर सकता। इन्हीं कयासबाजी के बीच अब जब एक बार फिर देश का चुनाव नजदीक आ रहा है तो फिर से वरुण गांधी को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं होने लगी है। वहीं सपा सांसद व अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के वरुण गांधी से बात करते हुए वायरल हुई तस्वीर ने इस बात को हवा दे दी है।

ऐसे ढलता चला गया बीजेपी में वरुण का कद
बताते चलें कि सुल्तानपुर से सांसद मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी ने अपने करियर की शुरुआत 2009 में पीलीभीत से भाजपा सांसद के तौर पर की थी। इसके बाद उनका कद भाजपा में बढ़ता गया और उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया। उनकी पहचान फायर ब्रैंड नेता के तौर पर भी हुई। 2015 में अचानक उनका ग्राफ नीचे गिरने लगा। पहले उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल के प्रभारी पद से हटाया गया। उस वक्त चर्चा हुई कि वरुण ने बतौर पश्चिम बंगाल प्रभारी वहां हुई मोदी की रैली को सफल नहीं बताया था। इसके बाद वरुण ने 2016 में प्रयागराज में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अपने खूब पोस्टर-बैनर लगवा दिए तो इसे खुद को सीएम फेस की तरह पेश करना माना गया।

टिकट पर लटक रही तलवार!
भाजपा आलाकमान उनसे नाराज हुआ तो वरुण ने खुद भी दूरी बना ली। भाजपा के संगठनात्मक कार्यक्रमों से उनकी गैरहाजिरी चर्चा का विषय बनने लगी। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर हो गए। तब से वह लगातार भाजपा सरकार पर हमलावर हैं। जब 2019 में मोदी सरकार 2.0 बनी तो वरुण की मां मेनका गांधी को कैबिनेट में भी नहीं लिया गया। 2021 में वरुण और सुलतानपुर से सांसद मेनका दोनों भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति से भी बाहर हो गए। कहा जा रहा है कि बीजेपी के कई बड़े नेता इस बार दोनों को लोकसभा का टिकट न देने के पक्ष में हैं।

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