
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- आईआरडीए की रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। रिपोर्ट में आईआरडीए ने बताया कि कोरोना में प्राइवेट अस्पतालों ने 3 गुना ज्यादा बिल बनाए तो बीमा कंपनियों ने एक महीने में 1287 करोड़ ज्यादा वसूले है। इस तरह से कोरोना काल में प्राइवेट अस्पतालों व बीमा कंपनियों ने कोरोना के नाम पर जमकर लूट मचाई है। हालांकि आईआरडीए ने अपनी रिपोर्ट में इस लूट का पूरा खुलासा कर दिया है लेकिन फिर भी सरकार प्राइवेट अस्पतालों व बीमा कंपनियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही कर रही है।
लोगों के जीवन पर आफत बनकर टूटी कोरोना महामारी में जहां रिश्ते तार-तार होते दिखाई दिये वहीं सेवा के नाम पर खुली लूट भी मची। सरकारी तंत्र फेल हुए तो प्राइवेट अस्पतालों व बीमा कंपनियों की तो जैसे लॉटरी ही लग गई और लोगों को सेवा देने के नाम पर करोड़ों-अरबों की लूट हुई। कोरोना काल में जहां लोगों ने अपने परिजन व पैसे खोये वहीं प्राइवेट अस्पतालों ने लोगों की लाशों पर 3 गुना ज्यादा बिल बनाकर लूट मचाई और बीमा कंपनियों ने तो एक महीने में करीब 1287 करोड़ ज्यादा वसूले। हालांकि सरकार स्थिति नियंत्रण का दावा करती रही लेकिन फिर भी बीमा कंपनियों व प्राइवेट अस्पतालों की खुली लूट जारी रही। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि क्या केंद व राज्यों में सरकारों के इशारों पर ये सब हुआ और अगर नही तो आईआरडीए की रिपोर्ट आने के बाद भी सरकारों ने इस पर कोई कार्यवाही क्यो नही की ?
यहां बता दें कि कोरोना काल में परिवार के सदस्य को खोने के बाद उसकी लाश के साथ यदि आपको लाखों का बिल थमा दिया जाए तो आप कैसा महसूस करेंगे? यह सोचने भर से रूह कांप जाती है। पर क्या आप जानते हैं कि जब आप अस्पतालों में बेड ढूंढ रहे थे और ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए लाइन में लगे थे, तो प्राइवेट अस्पताल और इंश्योरेंस कंपनियां आप को किस तरह लूट रही थी और कितना मुनाफा कमा रही थीं ?
देश में बीमा कंपनियों को कंट्रोल करने वाली सबसे बड़ी संस्था आईआरडीए के मुताबिक, महामारी के दौरान अस्पतालों ने इंश्योरेंस कंपनियों से तीन गुना ज्यादा हेल्थ क्लेम का पैसा वसूला है। वहीं, इस आपदा के दौरान हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की कमाई भी जमकर बढ़ी है। हम यहां बता रहे हैं कि प्राइवेट अस्पतालों और बीमा कंपनियों ने कोरोना के नाम पर हमें कैसे लूटा है?
प्राइवेट अस्पतालों ने महामारी के दौरान वसूले 3 गुना ज्यादा पैसे
दूसरी लहर में जब कोरोना ने हाहाकार मचाया, तो पूरे देश में सरकारी हेल्थ सिस्टम घुटनों के बल आ गया। ऐसे में अपनी जान बचाने के लिए लोग प्राइवेट अस्पतालों में पहुंचे। लेकिन, वहां उन्हें अपनी जान की कीमत भारी भरकम बिल चुका कर अदा करनी पड़ी। बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि अस्पतालों ने पहले की तुलना में बीमा कंपनियों से 3 गुना ज्यादा पैसे वसूले हैं।
कोरोना काल में बीमा कंपनियों ने एक मरीज पर एवरेज एक लाख की दर से अस्पतालों को पेमेंट किया है। जबकि 2018 में इंश्योरेंस कंपनियों ने एक मरीज पर एवरेज 39 हजार रुपए की दर से अस्पतालों को पेमेंट की थी। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ, दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर मयूर त्रिवेदी का कहना है कि महामारी के पहले और महामारी के बाद के डेटा के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। यह डेटा कुल क्लेम की संख्या और क्लेम के कुल पैसे के अधार पर निकाला गया है।
सिर्फ अस्पताल ही नहीं, हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने भी की रिकॉर्ड कमाई
एक तरफ कोरोना महामारी के दौरान हेल्थ पॉलिसी लेने वालों की संख्या बढ़ रही थी। वहीं, दूसरी तरफ हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां मरीजों को क्लेम का पैसा देने में ना-नुकुर कर रही थी। अगस्त 2020 में एक इंश्योरेंस कंपनी ने मरीज को क्लेम का पैसा देने से इनकार किया, तो मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।
इस केस में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा, ‘महामारी के दौरान इंश्योरेंस कंपनी बीमार मरीजों को क्लेम का पैसा देने से इनकार नहीं कर सकती है।’
बता दें कि पहली लहर के बाद से ही हेल्थ पॉलिसी खरीदने वालों की संख्या बढ़ने लगी। अक्टूबर 2020 में पॉलिसी खरीदने वालों की संख्या में 40 से 70 फीसदी की वृद्धि हुई। स्वास्थ बीमा कंपनियों की सलाना कमाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कंपनियों ने सिर्फ एक महीने अगस्त 2020 में 6268 करोड़ रुपए प्रीमियम के पैसे से कमाए हैं। एक साल पहले अगस्त 2019 में ही इन कंपनियों ने 4,981 करोड़ रुपए प्रीमियम से कमाए हैं। इस तरह साफ है कि कोरोना की वजह से पहले की तुलना में लोगों ने बीमा कंपनियों को सिर्फ एक महीने में 1287 करोड़ रुपए का प्रीमियम ज्यादा दिया।
भारत में कितने लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस है?
नीति आयोग ने अक्टूबर 2021 में ‘हेल्थ इंश्योरेंस फॉर इंडियाज मिसिंग मिडिल’ नाम से एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि देश की 70 फीसदी आबादी किसी न किसी स्वास्थ्य बीमा के दायरे में है। इनमें राज्य सरकार की योजनाएं, सामाजिक बीमा योजनाएं और प्राइवेट कंपनियों की बीमा पॉलिसी शामिल हैं। इसके अलावा, देश में रहने वाले 30 फीसदी यानी करीब 40 करोड़ लोग बीमा से वंचित हैं। इन लोगों को रिपोर्ट में ‘मिसिंग मिडिल’ कहा गया है। ‘मिसिंग मिडिल’ वाले ग्रुप में ज्यादातर गरीब लोग हैं। ये सरकारी अस्पतालों और हेल्थ सिस्टम पर निर्भर हैं। इसी वजह से दूसरी लहर के दौरान इलाज नहीं मिलने की वजह से सबसे ज्यादा मौतें इन्हीं लोगों की हुईं।
महामारी के दौरान हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम का क्या स्टेटस है?आईआरडीए ने 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार व्यक्तिगत जीवन बीमा के मामले कुल 11.01 लाख क्लेम्स कंपनियों को मिले थे। इसमें से जीवन बीमा कंपनियों ने 10.84 लाख क्लेम्स का पेमेंट किया, जिसकी कुल रकम 26,422 करोड़ रुपए थी।
बीमा कंपनियों ने 9527 क्लेम्स को स्पष्टीकरण मिलने के बाद खारिज कर दिया। इसकी रकम 865 करोड़ रुपए थी, जबकि 3,032 क्लेम को सीधे खारिज कर दिया गया। इसकी रकम 60 करोड़ रुपए थी। वर्ष के अंत में लंबित क्लेम्स 3,055 थे। इनकी राशि कुल 623 करोड़ रुपए थी।
भारत के लोग सालाना हेल्थ पर 1.38 लाख करोड़ अपनी जेब से करते हैं खर्च
इकोनॉमिक सर्वे 2021 में कहा गया है कि भारत के लोगों को अपनी आय का सबसे ज्यादा पैसा स्वास्थ्य पर खर्च करना पड़ता है। सरकार हेल्थ सुविधाओं पर कम खर्च करती है, ऐसे में आम भारतीय अपनी हेल्थ के लिए 65 फीसदी खर्च अपनी जेब से करते हैं। साल 2017-18 में भारत में रहने वाले लोगों ने इलाज के लिए अपनी जेब से करीब 1.38 लाख करोड़ रुपए खर्च किए थे। इनमें सबसे ज्यादा पैसा दवा और अस्पताल पर लोगों ने खर्च किए हैं। कोरोना काल में तो हेल्थ पर लोगों का खर्च और ज्यादा बढ़ गया है।
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