
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की कई सीमाओं पर बैठे किसानों का आंदोलन 50वें दिन में प्रवेश कर चुका है और कड़ाके की ठंड के बाद भी किसान यहां डटे हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक तीनों काले कानून वापस नहीं लिए जाते हम यहीं बैठे रहेंगे। वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए कमेटी बनाने के बाद 15 जनवरी को होने वाली बैठक पर अनिश्चितता का माहौल है। इस बीच यह खबर है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमेटी से अलग कर लिया है। उन्होंने कहा है कि वह किसानों के जज्बात देख अलग हुए हैं। हालांकि किसान संगठनों ने उनकी कार्यशैली को लेकर उंगली उठाई थी।
राकेश टिकैत ने भूपिंदर मान के फैसले को बताया आंदोलन की वैचारिक जीत
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, भूपिंदर सिंह मान का सुप्रीम कोर्ट की समिति से अलग होना किसान आंदोलन की वैचारिक जीत है। हम भूपिंदर सिंह मान को आमंत्रित करते हैं कि वह भी आंदोलन में शामिल हों।
सुप्रीम कोर्ट की चार सदस्यीय कमेटी से अलग हुए भूपिंदर सिंह मान
सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए जो चार सदस्यीय कमेटी बनाई है उससे भूपिंदर सिंह मान ने खुद को अलग कर लिया है। मान का कहना है कि वह किसानों के जज्बात को देखते हुए कमेटी से अलग हुए हैं। उनका कहना है कि वह किसानों के साथ हमेशा खड़े रहेंगे और उनके हितों के खिलाफ कभी नहीं जाएंगे।
राकेश टिकैत ने कहा- इस बार गणतंत्र दिवस ऐतिहासिक होगा
इस बार का गणतंत्र दिवस ऐतिहासिक होगा। 26 जनवरी की परेड में कई लाख ट्रैक्टर शामिल होंगे। पूरा आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चलाया जाएगा। हिंसा करने वाले किसी भी शख्स से किसान संगठनों का कोई लेना-देना नहीं है। अगर आंदोलन में कोई भी हिंसा करता है तो वह खुद इसका जिम्मेदार होगा। वह आगे बोले कि, संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 जनवरी की परेड के लिए दिल्ली सरकार से पांच लाख राष्ट्रीय ध्वज की मांग की है।
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