काशी तो काशी है! काशी तो अविनाशी है-मोदी

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काशी तो काशी है! काशी तो अविनाशी है-मोदी

-प्रधानमंत्री मोदी ने किया काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण -हर हर महादेव के उद्घोष से की अपने भाषण की शुरूआत -तीन हजार वर्ग फीट से बढ़कर करीब 5 लाख वर्ग फीट तक हुआ मंदिर का क्षेत्र

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/वाराणसी/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया। जिसके बाद उन्होंने अपने भाषण की शुरूआत हर हर महादेव के उद्घोष के साथ की, और उसके बाद सभी लोगों को भोजपुरी में प्रणाण बा कहा।
प्रघानमंत्री मोदी ने कहा कि अभी मैं नगर कोतवाल कालभैरव जी के दर्शन करके भी आ रहा हूँ, मेरे सभी देशवासियों के लिए उनसे प्रार्थना कर उनका आशीर्वाद लेकर आया हूं। काशी में कुछ भी नया हो, उनसे पूछना आवश्यक है। मैं काशी के कोतवाल के चरणों में भी प्रणाम करता हूं।
आतातायियों ने भगवान शिव की इस नगरी को ध्वस्त काने के बहुत प्रयास किए लेकिन काशी की इस पावन धरती े का कुछ नहीं बिगाड़ पाए। औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है। जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की। लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है। यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं। अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं। अंग्रेजों के दौर में भी, हेस्टिंग का क्या हश्र काशी के लोगों ने किया था, ये तो काशी के लोग जानते ही हैं। उन्होनें कहा कि हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है, सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है। भगवान विश्वेश्वर का आशीर्वाद और एक अलौकिक ऊर्जा यहां आते ही हमारी अंतर-आत्मा को जागृत कर देती है। विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है। ये हमारी भारत की सनातन संस्कृति, आध्यात्मिक आत्मा, भारत की प्राचीनता, परंपराओं, भारत की ऊर्जा और गतिशीलता का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर आप बाबा के धाम आएंगे तो केवल आस्था के दर्शन नहीं करेंगे। आपको यहां अपने अतीत के गौरव का अहसास भी होगा, कि कैसे प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही है। कैसे पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं और इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में हम कर रहे हैं।

आज भगवान शिव का प्रिय दिन सोमवार है। आज विक्रम संवत 2078 मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष दशमी तिथि, एक नया इतिहास रच रही है। हमारा सौभाग्य है कि हम इस तिथि के साक्षी बन रहे हैं। पहले मंदिर क्षेत्र केवल तीन हजार वर्ग फीट में था, लेकिनन अब यह करीब 5 लाख वर्ग फीट का हो गया है। अब मंदिर और मंदिर परिसर में 50 से 75 हजार श्रद्धालु आ सकते हैं। यानी पहले मां गंगा का दर्शन-स्नान, और वहां से सीधे विश्वनाथ धाम

पीएम ने आगे कहा कि काशी तो काशी है! काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है। जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हों, उस काशी को भला कौन रोक सकता है। पीएम ने कहा, मैं आज अपने हर उस श्रमिक भाई-बहन का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिसका पसीना इस भव्य परिसर के निर्माण में बहा है। कोरोना के विपरीत काल में भी, उन्होंने यहां पर काम रुकने नहीं दिया। वाराणसी ने युगों को जिया है, इतिहास को बनते बिगड़ते देखा है। कितने ही कालखंड आये, कितनी ही सल्तनतें उठी और मिट्टी में मिल गई। फिर भी बनारस बना हुआ है। बनारस अपना रस बिखेर रहा है। काशी शब्दों का विषय नहीं है, संवेदनाओं की सृष्टि है। काशी वो ह, जहां जागृति ही जीवन है, मृत्यु भी मंगल है, सत्य ही संस्कार है और जहां प्रेम ही परंपरा है।

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