नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/कश्मीर/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कश्मीर में अफगानिस्तान के घटनाक्रम के बाद अब पाकिस्तान के ’सीज फायर’ के बीच कश्मीर में आतंकियों ने ’नया गेम’ शुरू किया है। इसे ’पिस्टल किलिंग’ कहा जा रहा है। पिछले तीन दिनों में इंस्पेक्टर परवेज अहमद, केमिस्ट मक्खन लाल बिंदरु, एक स्कूल के सिख प्रिंसिपल सुपिंद्र कौर व एक कश्मीरी पंडित शिक्षक की हत्याओं में आतंकियों ने पिस्टल का इस्तेमाल किया है। पिछले दिनों छह नागरिकों को पिस्टल से गोली मारे जाने के कारण हुई है। क्या आम नागरिकों को मारने के लिए एक या दो आतंकी भेजे जा रहे हैं?
जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा विशेषज्ञ कैप्टन (रिटायर्ड) अनिल गौर कहते हैं, पिस्टल किलिंग के कई मकसद हैं। पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों के बीच से घाटी में नई तंजीमें खड़ी की जा रही हैं। आतंकियों के पास बड़े हथियार जैसे एके-47 और उसके कारतूस का अभाव हो गया है। सीमा पार से आने वाले आतंकी एलओसी पर ही मारे जा रहे हैं। ऐसे में अब पड़ोसी मुल्क की तरफ ड्रोन के जरिए पिस्टल भेजे जा रहे हैं। घाटी में पहले से मौजूद ओवर ग्राउंड व अंडर ग्राउंड वर्कर पिस्टल से नागरिकों को मार रहे हैं। बीएसएफ ने कुछ घंटे पहले ही सांबा में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चार पिस्टल व गोलाबारूद बरामद किए हैं।
अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद वहां पाकिस्तान अपनी बड़ी भूमिका में आना चाह रहा है। भारत के साथ पड़ोसी मुल्क ने सीमा पर ’सीज फायर’ घोषित कर रखा है। खास बात ये है कि दुनिया को दिखाने के लिए पाकिस्तान ने सीमा पर गोलीबारी तो बंद कर दी है, लेकिन जम्मूकृकश्मीर में आतंकियों के लिए अपना ’सपोर्ट सिस्टम’ जारी रखा है। ड्रोन से हथियार पहुंचाने के दर्जनभर मामले सामने आ चुके हैं। जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर विस्फोट किया गया। आर्मी परिसरों को निशाना बनाने का प्रयास हुआ।
सुरक्षा विशेषज्ञ अनिल गौर के अनुसार, पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ का प्रयास हो रहा है, लेकिन अधिकांश आतंकी ’एलओसी’ पर मारे जा रहे हैं। भारतीय सेना, उन्हें आगे नहीं आने देती। पाकिस्तान ने अब घाटी में नया गेम शुरू कर दिया है। उसने अपने सभी अंडर ग्राउंड-ओवर ग्राउंड वर्कर सक्रिय कर दिए हैं। इन्हें पड़ोसी मुल्क की तरफ से हर तरह की सहायता मिल रही है।
ओवर ग्राउंड वर्कर और अंडर ग्राउंड वर्कर का लोकल पुलिस के पास रिकॉर्ड नहीं होता। अगर ये पकड़े जाते हैं तो उसके पीछे इंटेलिजेंस इनपुट होता है। इन्हीं की मदद से घाटी में ’पिस्टल किलिंग’ हो रही हैं। बड़े आतंकी संगठनों के पास अब प्रशिक्षित लड़ाके नहीं बचे हैं। असला भी खत्म होने की कगार पर है। ऐसे में आतंकी संगठनों की छोटी तंजीमें जैसे टीआरएफ (द रेजिस्टेंस फ्रंट) को सामने लाया जा रहा है।
कब्जे हटाने की मुहिम देख आईएसआई मुस्लिमों को भड़का रही
सरकार ने कश्मीरी पंडितों की संपत्तियों से कब्जे हटाने का अभियान शुरू किया है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ’आईएसआई’ इसे मुस्लिमों के खिलाफ मुहिम बता रही है। द रेजिस्टेंस फ्रंट के साथ पाकिस्तान के दूसरे आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद आदि मौजूद हैं। पाकिस्तान का मकसद है कि घाटी में अब रेंडम किलिंग कराई जाए। कौन कहां, कब किसे मारेगा, पता नहीं चलता। अभी तक तो सुरक्षा बलों पर हमलों की खबरें सामने आती थी, लेकिन पिछले 48 घंटे में पांच निर्दोष लोगों की जान ले ली गई है। पिस्टल किलिंग के जरिए आतंकी यह मैसेज दे रहे हैं कि कश्मीरी पंडितों के लिए यहां बसना खतरे से खाली नहीं है। घाटी में वापसी का प्रयास न करें।
कैप्टन (रिटायर्ड) अनिल गौर ने बताया, पिस्टल किलिंग के मार्फत आतंकी यह संदेश भी दे रहे हैं कि सरकार उन्हें नहीं बचा सकती। पिछले दिनों एक बार लगा कि घाटी में सब ठीक होता जा रहा है। लाल चौक पर भव्य रोशनी की गई। डल झील पर शानदार एयर शो आयोजित हुआ। जन्माष्टमी पर झांकियां निकाली गई। अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कश्मीर आ रहे हैं। एकाएक सिविलयन पर हमले कर पाकिस्तान ने बता दिया है कि घाटी में आतंकी कैडर मौजूद हैं।
पड़ोसी मुल्क अब एक नई चाल चल रहा है। अमेरिका या यूएनओ द्वारा जिस आतंकी संगठन को बैन किया जाता है, पाकिस्तान उसकी एक नए नाम से दूसरी शाखा खड़ी कर देता है। कश्मीर में अब कई आतंकी संगठनों को मिलाकर नए समूह बनाए जा रहे हैं। इस मामले में चीन भी पीछे नहीं है। वह सोचता है कि भारत, पीओके में उसके लिए खतरा बन सकता है। उसके द्वारा किए गए भारी निवेश पर पानी फिर सकता है। इसी वजह से चीन भी चाहता है कि जम्मू कश्मीर में भारत, आतंकियों के साथ उलझा रहे। भारतीय सीमा में आए दिन पाकिस्तान की तरफ से जो हथियार गिराए जा रहे हैं, उसके लिए चीन ने ही 25 किलोमीटर दूर तक की उड़ान भरने वाले ड्रोन मुहैया कराए हैं।
घाटी को पिस्टल किलिंग से आखिर कैसे बचाया जाए? इस सवाल के जवाब में गौर का कहना है, इस तरह की स्थिति में एक ठोस विकल्प रहता है, लोकल पब्लिक का, जिसका बाहुल्य होता है। घाटी में मुस्लिम समुदाय के पास यह स्थिति है। ओवर ग्राउंड वर्कर और अंडर ग्राउंड वर्कर, आसमान से नहीं टपकते। वे न ही जंगलों में रहते हैं। ये लोग आम लोगों के बीच रहते हैं। उन्हें पुलिस भले ही न पहचान पाए, मगर लोग जरुर जानते हैं। यह अलग बात है कि वे उनकी जानकारी पुलिस को नहीं देते। मुस्लिम समुदाय के लोग चाहें तो पिस्टल किलिंग वाले लोग तुरंत पकड़ में आ सकते हैं। उनके लिए स्थानीय स्तर पर सपोर्ट सिस्टम कहां से आ रहा है, ये भी पता लगाया जा सकता है। सुरक्षा बलों को यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि पिस्टल किलिंग, केवल कश्मीर में ही क्यों हो रही है। जम्मू में पिस्टल किलिंग नहीं हो रही।
-पुलिस व सुरक्षा बलों की पकड़ से बचने के लिए आतंकी नये गेम प्लान से मचा रहे तबाही
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