ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाली सबसे कम उम्र की पहलवान बनी सोनम मलिक

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

September 2023
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
September 24, 2023

हर ख़बर पर हमारी पकड़

ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाली सबसे कम उम्र की पहलवान बनी सोनम मलिक

-काफी बुरे दौर में भी सोनम ने हार नही मानी,, ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक को ट्रायल्स में चार बार दे चुकी है मात

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/सोनीपत/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/-एक दौर ऐसा था जब सोनम मलिक नसों में परेशानी के चलते अपना एक हाथ नही उठा पाती थी लेकिन अपने दृढ़ निश्चय व कड़ी मेहनत के बाद सोनम मलिक ने वो मुकाम पा लिया जिसके लिए खिलाड़ी पूरी उम्र सपने ही देखते रह जाते है। दरअसल सोनम मलिक जापान ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाली सबसे कम उम्र की पहलवान बन गई है। सोनम ने यह कारनामा कजाकिस्तान में एशियन ओलंपिक क्वालिफायर्स में दमदार प्रदर्शन करके दिखाया है।
                         यहां बता दें कि हरियाणा के सोनीपत से ताल्लुक रखने वाली महिला पहलवान सोनम मलिक ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाली सबसे कम उम्र की रेसलर हैं। उनके लिए एक वक्त काफी मुश्किल भरा रहा था जब उनका एक हाथ उठना बंद हो गया था। उन्होंने ओलंपिक मेडलिस्ट साक्षी मलिक को चार बार ट्रायल्स में हराया है। सोनम मलिक को उस वक्त नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया जब वह ओलंपिक क्वालीफाई के लिए इसी साल अप्रैल में कजाकिस्तान में एशियन ओलंपिक क्वालिफायर्स में कुश्ती लड़ रही थी। सोनम ने अपना दमदार प्रदर्शन करते हुए 62 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक जीता और इसी के साथ उन्होंने टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों का कोटा भी हासिल कर लिया। सोनम अभी मात्र 19 साल की हैं और वह ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय पहलवान हैं। सोनम मलिक ने महज 12 साल की उम्र में ही कुश्ती में दम दिखाना शुरू कर दिया था। उन्होंने अजमेर सिंह मलिक की कोचिंग ली और कुश्ती में ही करियर बनाने की सोची। उन्होंने साल 2017 में एशियन कैडेट चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता और अपने खेल से प्रभावित किया। इसी के बाद सोनम ने वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक जीतकर अपना लोहा मनवाया। वह राष्ट्रीय खेलों में भी स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। सोनम के लिए एक वक्त काफी संघर्ष भरा रहा है जब नसों की परेशानी के चलते वह अपने एक हाथ को उठा भी नहीं पाती थीं। उनके हाथ में हलचल कम हो गई और फिर ऐसा भी समय आया कि उनके लिंब में लकवे की स्थिति होने लगी। वह अपना हाथ हिला भी नहीं पाती थीं। सोनम का परिवार महंगा इलाज नहीं करा सकता था। ऐसे में घर पर ही आयुर्वेदिक दवाओं का सहारा लिया गया हालांकि उनकी इच्छाशक्ति और दवाइयों के असर से वह काफी जल्दी फिट होने लगीं और छह महीने में ही मैट पर लौट आईं। सोनम के लिए ओलिंपिक क्वॉलिफायर्स में पहुंचने के लिए सबसे बड़ी चुनौती 2016 रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक थीं। लेकिन सोनम ने साक्षी को चार बार ट्रायल्स में हराया। लखनऊ में हुए इस टूर्नामेंट में सोनम के सामने साक्षी कुछ खास नहीं कर सकीं। बता दें कि सोनम के पिता राजेंद्र भी कुश्ती खेला करते थे हालांकि बाद में उन्होंने चीनी की मिल में नौकरी शुरू कर दी थी।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox