नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- तिहाड़ जेल नंबर सात में बंद जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रट के कमांडर यासीन मलिक को बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश किया गया था। जेल प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए घटना के 24 घंटे के अंदर ही एक उप अधीक्षक, दो सहायक अधीक्षक और एक हेड वार्डर को निलंबित कर दिया है। जबकि अन्य अधिकारियों की पहचान करने के लिए डीआइजी तिहाड़ द्वारा विस्तृत जांच की जा रही है जो इस गंभीर चूक के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए तिहाड़ जेल डीजी ने जेल नंबर सात के महानिरीक्षक राजीव सिंह से तीन दिन में विस्तृत रिपोर्ट मांगी और दोषियों के खिलाफ तुरंत सख्त कार्यवाई करने के आदेश दिये थे। गृह मंत्रालय का स्पष्ट निर्देश है कि उसे जेल से बाहर नहीं जाएगा। जब भी कोर्ट में सुनवाई होगी, उसकी पेशी वर्चुअल तरीके से ही होगी। बता दें कि सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए यासीन मलिक की जब भी पेशी होती है।
उसको कोर्ट में न ले जाकर उसकी पेशी वीडियो कॉफ्रेंसिंग से ही होती है। लेकिन शुक्रवार को ऐसा नहीं हुआ। मामले में जेल सुपरिटेंडेट भी दोषियों के दायरे में है। भले ही उनपर अभी सस्पेंशन की तलवार नहीं चली है। क्योंकि जेल से बाहर आने जाने वालों के बारे में सुपरिटेंडेंट को पता होता है। जबकि जेल का यह मामला तो एक आंतकी से जुड़ा हुआ था। जिसको बाहर न जाने के गृह मंत्रालय ने दिर्नेश दे रखे थे।
व्यक्तिगत रूप से पेशी को लेकर किसी की साजिश थी या फिर कुछ ओर, इस मामले में सुरक्षा एजेंसियां भी जांच कर सकती है। जेल से जिस वैन में यासीन मालिक को ले जाया गया था। उसके रूट और उसको ले जाने वाले सभी लोगों से एजेंसियां पूछताछ कर सकती है। कुछ जानकारों का आरोप है कि यासिन की यह पहली पेशी नहीं थी। वह अब खुद केस की पेरवी कर रहा है। सभी को यासिन के बारे में पता था।
जिनको सस्पेंड किया गया है। उनको भी पता था कि यासिन की पेशी किस तरह से होती है। ऐसे में वहीं उसके पेपर में हस्ताक्षर कर उसको बाहर जाने की इजाजत दे रहे थे। इसके पीछे काफी बड़ी साजिश की बू आने का शक लाजमी है। गनीमत तो यह है कि यासिन सही सलामात वापिस जेल आ गया था। उसपर हमला भी हो सकता था। यासिन के भी हजार दुश्मन है। जेल से कोर्ट के बीच उसके संपर्क में कौन कौन आया,इस बारे में भी एजेसियां उसके साथ तैनात लोगों से पूछताछ कर सकती है।
ज्ञात हो कि यासीन मालिक 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। टेरर फंडिंग मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद यासीन मलिक तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। ज्ञात हो कि यासीन मलिक एक अलगाव वादी नेता है जोकि 1990 के दौरान कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल था। फिलहाल 57 वर्षीय मलिक पर 2017 में आतंकियों की फंडिंग करने का आरोप लगा था।
इस सिलसिले में एनआईए अदालत ने उसे 24 मई, 2022 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जेकेएलएफ प्रमुख पर आतंकी फंडिंग के अलावा दिसंबर 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण और जनवरी 1990 में भारतीय वायु सेना के अधिकारियों की हत्या के मामले में भी मुकदमा चल रहा है।
-सुप्रीमकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से किया गया था पेश, गृहमंत्रालय के आदेश के उल्लंघन पर की गई कार्यवाही
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