अवैध निर्माण की निशानी होगी जमींदोज, सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने में टॉवर गिराने के दिये निर्देश

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October 7, 2024

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अवैध निर्माण की निशानी होगी जमींदोज, सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने में टॉवर गिराने के दिये निर्देश

-नोएडा में विल्डरों व अधिकारियों की मिलीभगत से बनी सुपरटेक की 40 मंजिला दोनो टावरों गिराने के आदेश, 12 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाये निवेशकों का पैसा

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नोएडा/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/-  नोएडा में बनी 40 मंजिल की 2 इमारतों को सुप्रीम कोर्ट ने गिराने का आदेश दिया है। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पहली बार इस तरह के बड़े निर्माण को गिराने का आदेश जारी हुआ है। कोर्ट ने आदेश देते समय यह कहा है कि बिल्डरों और अधिकारियों के ’अपवित्र गठजोड़’ ने लोगों का जीना मुश्किल कर रखा है। दोनों अवैध निर्माण सुपरटेक बिल्डर के हैं। कोर्ट ने यह आदेश भी दिया है कि निर्माण गिराने का पूरा खर्च बिल्डर खुद उठाएगा। फ्लैट खरीदारों को उनके पैसे 12 प्रतिशत ब्याज समेत वापस लौटाए जाएंगे।
                      बता दें कि सुपरटेक बिल्डर ने नोएडा के सेक्टर-93 में एमरल्ड कोर्ट नाम के बिल्डिंग परिसर में 40 और 39 मंजिल के 2 नए टावर खड़े कर दिए. 950 फ्लैट वाले दोनों टावर बनाते समय वहां पहले से रह रहे लोगों की सहमति नहीं ली गई। नक्शे के हिसाब से यह निर्माण सोसाइटी के खुले क्षेत्र में उस जगह किया गया, जहां से पार्क में जाने का रास्ता था। इस विशाल निर्माण से इमारतों के बीच की दूरी बहुत कम हो गई. पहले से रह रहे लोगों को रोशनी और हवा पाने में भी समस्या होने लगी।
                     सोसाइटी के आरडब्ल्यूए ने नोएडा ऑथोरिटी से निर्माण के बारे में जानकारी मांगी, तो उन्हें मना कर दिया गया। एमरल्ड कोर्ट निवासी इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे. हाईकोर्ट ने अप्रैल 2014 में दोनों टावरों को अवैध करार दिया। उन्हें गिराने का आदेश दे दिया. हाईकोर्ट ने कहा था कि एपेक्स और सियान नाम के इन टावरों का निर्माण नियमों का उल्लंघन कर किया गया है। इसी फैसले के खिलाफ सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
आज सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि यह निर्माण अवैध हैं। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह की बेंच ने कहा कि 2009 और 2012 में दोनों टावरों के निर्माण के लिए नोएडा ऑथोरिटी की तरफ से दी गई। अनुमति नियम विरुद्ध थी. दोनों टावर को बनाते समय पहले से मौजूद इमारतों से दूरी का ख्याल नहीं रखा गया। अग्नि सुरक्षा नियमों का भी उल्लंघन हुआ।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि :-
-दोनों टावर को 3 महीने में गिराया जाए
-इस काम का पूरा खर्च सुपरटेक उठाए
-सीबीआरआई या किसी अन्य एक्सपर्ट एजेंसी की निगरानी में निर्माण गिराया जाए
-फ्लैट खरीदारों को 2 महीने में पैसे वापस दिए जाएं. 12 फीसदी ब्याज मिले
-इतने साल तक मुकदमा लड़ने के लिए एमरल्ड कोर्ट आरडब्ल्यूए के भी खर्च की भरपाई की जाए। बिल्डर उन्हें 1 महीने में 2 करोड़ रुपए दे।

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