नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- देश में कोरोना संक्रमण के खिलाफ ढाल का काम कर रही देशी वैक्सीन अभी विदेशों में मान्यता को लेकर संघर्ष कर रही है। हालांकि अभी तक कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ से मान्यता नही मिली थी लेकिन अब तो कोविशिल्ड पर भी मान्यता को लेकर संकट के बादल मंडरा रहे है। यूरोप के कुछ देशों में कोविशिल्ड वैक्सीन लगवाने वालों को देश में आने की इजाजत नही दी है जिसकारण कोविशिल्ड वैक्सीन लगवाने वाले यात्रियों की मुसिबत अब बढ़ गई है। लोग सरकार से इस के खिलाफ कदम उठाने की भी अपील कर रहे है और ईयू की इस कार्यवाही को पक्षपातपूर्ण बता रहे है।
यहां बता दें कि कोरोना से निपटने के लिए देश में ही बनी कोवैक्सीन व कोविशिल्ड वैक्सीन का टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। जिन्हे कोरोना संक्रमण के खिलाफ 80 से 90 प्रतिशत तक कारगर माना जा रहा है। लेकिन विश्व में अभी भी कई देशों खासकर यूरोप में इन वैक्सीन को मान्यता नही मिली है। हालांकि डब्ल्यूएचओ में कोविशिल्ड मान्यता प्राप्त है और कोवैक्सीन की मान्यता को लेकर जांच व चर्चा जारी है फिर भी यूरोप के कुछ देश डब्ल्यूएचओ को भी दरकिनार कर रहे है। देश में फिलहाल, अधिकतर लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन दी जा रही है, लेकिन इससे जुड़ी एक खबर ने विदेश जाने की तैयारी करने वाले यात्रियों की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, कोविशील्ड को अभी कई देशों ने अपने यहां मान्यता नहीं दी है। वहीं फिलहाल कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले यात्रियों को यूरोपीय संघ के देश अपने यहां आने की इजाजत नहीं देंगे।
यूरोपीय संघ के कई सदस्य देशों ने डिजिटल वैक्सीन पासपोर्ट जारी करना शुरू कर दिया है, जो यूरोपीय लोगों को काम या पर्यटन के लिए स्वतंत्र रूप से आने-जाने की अनुमति देगा। वैक्सीन पासपोर्ट इस बात के प्रमाण के रूप में काम करेगा कि किसी व्यक्ति को कोरोना वायरस से प्रतिरक्षा देने वाला टीका लग गया है। यूरोपीय संघ ने पहले कहा था कि सदस्य देशों को कोविड-19 वैक्सीन के प्रकार की परवाह किए बिना प्रमाण पत्र जारी करना चाहिए, लेकिन ग्रीन पास की तकनीकी विशिष्टताओं से संकेत मिल रहे हैं कि यह ईयू-व्यापी विपणन प्राधिकरण से प्राप्त करने वाले कोविड टीकों तक ही सीमित होगा।
ईयू ने सिर्फ अपनी वैक्सीनों को दी मंजूरी
यूरोपीय मेडिसन एजेंसी (ईएमए) की ओर से फिलहाल सिर्फ चार कोविड वैक्सीन को मंजूरी दी गई है, जिनमें फाइजर, मॉर्डना, एस्ट्राजेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन का नाम शामिल है। यानी कि इन चार वैक्सीन को लगवाने वाले ही यूरोपीय देशों की यात्रा पर जा सकेंगे। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) निर्मित एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन के एक संस्करण कोविशील्ड को यूरोपीय बाजार के लिए ईएमए ने अभी मंजूरी नहीं दी है।
यूरोपीय संघ ग्रीन पास के लिए केवल एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के वैक्स्जर्वरिया संस्करण को ही मान्यता देगा, जो ब्रिटेन या यूरोप निर्मित है। वहीं कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों में निम्न और मध्यम आय वाले भारतीय शामिल हैं। बता दें कि कोविशील्ड को डब्ल्यूएचओ से भी मंजूरी मिल चुकी है। इसके बाद भी यूरोपियन संघ की ओर से वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी गई है।
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