
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/देश-विदेश/शिव कुमार यादव/- अफगानिस्तान से अमेरिका के जाने के बाद से कत्लेआम हो रहा है। तालीबानी सत्ता को लेकर हर तरफ अफरा-तफरी व दहशत का माहौल है। गरीबी व भूखमरी ने अफगानिस्तान को पूरी तरह से जकड़ लिया है लेकिन फिर भी दुनिया के सबसे गरीब देशों में सुमार अफगानिस्तान अकूत खजाने का मालिक है। अफगानिस्तान में करीब 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 75.55 लाख करोड़ रुपये के प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं। 3.8 करोड़ की आबादी वाले इस देश में 2.22 लाख करोड़ किलोग्राम लौह अयस्क, 1.30 लाख किलोग्राम मार्बल और 1.40 लाख किलोग्राम दुर्लभ धातु मौजूद हैं। जिसकारण पूरी दूनिया के देशों की नजर अफगानिस्तान पर जमी हुई है और हर कोई इस खजानें को हथ्यिना चाहता है। हालांकि चीन ने तालीबान के साथ खनिज उत्खनन का समझौता कर लिया बताया जा रहा है।
अफगानिस्तान में खनिजों और धातुओं के स्रोत का अध्ययन करने वाले जियोलॉजिस्ट स्कॉट मॉन्टगोमेरी ने बताया कि इस देश में अगर 7 से 10 साल तक बड़े पैमाने पर खनिज खनन का काम हो तो यह देश की आर्थिक स्थिति को सुधार सकता है लेकिन यहां पर सुरक्षा की कमी, कमजोर कानून और भ्रष्टाचार की वजह से इस देश का विकास और खनन क्षेत्र के फैलाव की संभावना कम है।
साल 1960 और 70 के बीच सोवियत संघ और पूर्वी यूरोपियन देशों ने मिलकर इस देश के भूगर्भीय स्रोतों का सर्वे किया था. लेकिन दशकों से चल रहे युद्ध, गृहयुद्ध और आतंकवाद की वजह से ’अफगानिस्तान का खजाना’ जमीन के अंदर ही दफन है। साल 2010 में यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे और अफगानिस्तान जियोलॉजिकल सर्वे ने मिलकर 34 राज्यों में 24 स्थानों का पता किया था। जहां पर प्राकृतिक संसाधनों का अकूत भंडार है। तब पता चला था कि यहां पर 75.55 लाख करोड़ रुपये की प्राकृतिक संपदा भरी पड़ी है।
इस स्टडी में पता चला था कि यहां पर 15.39 करोड़ किलोग्राम लेड-जिंक, 10 करोड़ किलोग्राम सेलेसटाइट और 2698 किलोग्राम सोना है। अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा लौह अयस्क है. 2.22 लाख करोड़ किलोग्राम लौह अयस्क से 2 लाख एफिल टावर का निर्माण किया जा सकता है। साल 1889 में पेरिस में बने 1063 फीट ऊंचे एफिल टावर के निर्माण में 73 लाख किलोग्राम लोहा लगा था। इसके अलावा अफगानिस्तान के बडकशान और कंधार प्रांत में एल्यूमिनियम का भंडार है। यहां पर 18,300 करोड़ किलोग्राम एल्यूमिनियम मौजूद है। यह दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाला मेटल है। यह इतना है कि इससे 50 हजार करोड़ मैकबुक कंप्यूटर केस बनाए जा सकते हैं।
अफगानिस्तान में 2698 किलोग्राम सोना का भंडार है। ये बडकशान से ताखर और गजनी से जाबुल तक फैला हुआ है। यहां इतना सोना है कि इससे कम से कम 8 ग्राम के 3 लाख सोने के सिक्के बनाए जा सकते हैं। अफगानिस्तान में 12,400 करोड़ किलोग्राम तांबा है। ये इतना ज्यादा है कि इतने से आप धरती से चांद तक की दूरी.में 14 बार तांबे का तार बांध सकते हैं।
अफगानिस्तान दुनिया का आठवां सबसे ज्यादा पहाड़ों वाला देश है। यहां पर हिंदूकुश हिमालय की रेंज है. जिसकी वजह से देश के कई हिस्से ऐसे हैं, जहां पर जाना मुश्किल है. लेकिन यहां पर मार्बल, लाइमस्टोन और सैंडस्टोन की मात्रा बहुत ज्यादा है। अफगानिस्तान में 1.30 लाख करोड़ किलोग्राम मार्बल है। यह इतना है कि इससे 555 फीट ऊंचा और 55 फीट चौड़ा 13 हजार वॉशिंगटन मॉन्यूमेंट बनाया जा सकता है। लाइमस्टोन और सैंडस्टोन की मात्रा भी बहुत ज्यादा है। लाइमस्टोन का उपयोग सीमेंट बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा टूथपेस्ट और पेंट बनाने के लिए भीइनका उपयोग होता है। बडकशान, हेरात और बाघलान प्रांतों में 50 हजार करोड़ किलोग्राम लाइमस्टोन मौजूद है। यह इतना है कि इससे गीजा जैसे 92 पिरामिड बनाए जा सकते हैं। 65 हजार करोड़ सैंडस्टोन है, जिससे 450 कोलोसी ऑफ मेमनोस स्मारक बनाए जा सकते हैं।
इसके अलावा अफगानिस्तान में इंडस्ट्रियल मिनरल का खजाना है। यहां पर 1.40 लाख करोड़ किलोग्राम रेयर अर्थ मेटल यानी दुर्लभ खनिज एवं धातु हैं. जिनमें लैपिस लाजुली, पन्ना और माणिक शामिल हैं। सबसे ज्यादा मात्रा में 15,200 करोड़ किलोग्राम बैराइट है। तेल और गैस इंडस्ट्री में ड्रिलिंग के काम आती है।
अफगानिस्तान से 90 फीसदी उत्पाद तीन ही देशों में सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट होते हैं। 45 फीसदी संयुक्त अरब अमीरात, 24 फीसदी पाकिस्तान और 22 फीसदी भारत में.लेकिन 15 अगस्त 2021 से तालिबान के कब्जा करने के बाद से अफगानिस्तान से एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट का बिजनेस बंद है। 2 सितंबर 2021 को तालिबान ने चीन की आर्थिक मदद से खनिज उद्योग को बढ़ाने का फैसला किया है।
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